ये होता है जहां तीन तरह के कानून हों. जहां इंसानियत से ऊपर ढकोसले और फर्जी इज्जत के चोंचले हावी हों. जहां इंसान को अपनी मर्जी से जीने में खुद घर वालों की अकल में कीड़े कुलबुलाते हों.
पाकिस्तान की मीडिया नहीं, सोशल मीडिया को फॉलो करते हो तो इस हैशटैग को देखा होगा. #Justice_for_Hina_Shahnawaz मुहिम चल रही है. हिना शाहनवाज अब इस दुनिया में नहीं है. उसके साथ भी वही हुआ जैसे कुछ दिन पहले कंदील बलोच के साथ हुआ था. रिश्तेदार ने गोली मार दी. क्योंकि इस लड़की का जॉब करना, सेल्फ डिपेंड होना उसे पसंद नहीं था.
27 साल की हिना कोहत में रहती थी. पेशावर से एम. फिल की डिग्री ले रखी थी. पापा कुछ साल पहले कैंसर से जूझते हुए गुजर गए थे. हिना के भाई का भी कत्ल किसी रंजिश के चलते हो गया था. बचा भाई का परिवार, मां, विधवा बहन और उसके बच्चे. इन सबको पालने का जिम्मा हिना का था. वो अकेली थी इतने बड़े परिवार के लिए कमाने वाली. तो इस्लामाबाद की किसी प्राइवेट कंपनी में जॉब कर ली थी.
हिना अपने परिवार का खयाल रख रही थी. अपने पैरों पर खड़ी थी. लेकिन इतने बड़े परिवार को संभालना कड़ा संघर्ष था. हिना के कुलच्छनी रिश्तेदारों को उसका काम करना रास नहीं आया. उसके ऊपर बराबर दबाव डाला जाता रहा. 6 फरवरी को हिना के चचेरे भाई से उसका झगड़ा हुआ. भाई ने उसे एक के बाद एक चार गोलियां मारकर छलनी कर दिया.
ये होता है जहां तीन तरह के कानून हों. जहां इंसानियत से ऊपर ढकोसले और फर्जी इज्जत के चोंचले हावी हों. जहां इंसान को अपनी मर्जी से जीने में खुद घर वालों की अकल में कीड़े कुलबुलाते हों. वहां किसी घर से जब कसाब निकलता है तो किसी को बुरा नहीं लगता. मार के फेंक दिया जाता है तो सब पल्ला झाड़ लेते हैं. अल्लाह की राह में कुर्बान होने को इतना हाई फाई और झूठ की चाशनी में लपेटकर परोसा जाता है कि वहां अपने परिवार के लिए त्याग और संघर्ष करने वालों को अपनी जिंदगी बेमानी लगने लगती है. ऐसे माहौल में हिना जैसी लड़कियां आशा की किरण होती हैं. जिनको उनके सगे ही खाए जा रहे हैं. पाकिस्तान का फ्यूचर भी अल्लाह भरोसे ही है.