माघ शुक्ल की तिथी पंचमी
श्री पंचमी या बसंत पंचमी
ज्ञान की देवी सुर की जननी
प्रकटी जगत में हुई पीत अवनी
अज्ञानता हरले, हे वीणा वादिनी
तन में नव सुधा भरदे, हे हंसिनी
तिमिर हरले ज्ञान प्रकाशिनी
विद्या बुद्धि दे, हे ब्रह्म संगिनी
पीतांबर पहन ऋतुराज पधारे
निरस उबाऊ क्षण सहारें
उमंग भरे वृक्ष पात निखारे
खिली सरसों नव छटा सवारें
तितलियों के रंगीन नजारें
लताएँ लिपटे चढ़ चोबारे
महक उठी अंबुआ की बौरें
करें नृत्य पुष्पों पर भोरेँ
शीत ऋतु की करी विदाई
बसंत संग नव चेतना लाई
पावन पर्व की तिथि है आई
ढोल मजिरे ध्वनी दे सुनाई
परिणय की बजत शहनाई
मन्त्रों की गूंज करे पंडिताई
कन्यदान से पिता ने मुक्ति पायी
हर ओर खुशी से बँटे मिठाई
कविता चौधरी