हे त्रिकालदर्शी शमशान वासी
तुम्हे नमन, हे शंभू शूल पाणि
उठो सर्वेश्वर शिखर चन्द्र सजाओ
विष्णुप्रिय अब रूप बदल आयो
जल स्नान करो हे भस्म रमैया
थोड़ा श्रृंगार करो हे भुजंग सजैया
छवि देख ना डरे मेरी मईया
बाघम्बर छोड़ो हे जगत रचैया
महलो की राजदुलारी संग
मिलन है जगत कल्याणी संग
अब रेशमी परिधान स्वीकारो
हीरों की माला कंठ सजालो
फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की
शुभ घड़ी और तिथि चतुर्दश की
भव्य बारात चली वर पक्ष की
फूली बगिया हर अंतःकक्ष की
शिव का डमरू बजे डम डम
नंदी नाचत छम छम छम छम
भूत प्रेत और ऋषी-मुनी संग-संग
ध्वनि गूँजे जय बम बम बम बम
मिलन हुआ शिव शक्ती का
मिला फ़ल शिव भक्ति का
हिम राज ने करी विदाई
पावन शिव की रात्रि आयी
कविता चौधरी