चलो ना राम सिया सा इश्क करे
हम धरा पे प्रेम का प्रतिमान बने
हाथ पकड़ मेरा तुम ले जाना वन मे
मै जोगन बन सदा चलूँ तुम्हारे संग मे
काँटा ना कोई चुभने दूँगी तेरे पग मे
मै अपना आँचल बिछा दूँ तेरे पथ मे
मै सिया सी खो जाऊँ तुम्हे सताने को
तुम राम से अधीर होना मुझको पाने को
मै सिया सी जिद्द करुँ मृग पाने की
तुम राम सी कला दिखाना मुस्काने की
राम सिया सा पावन प्रेम ये अपना होगा
लेकिन तुमको आज प्रण ये लेना होगा
कभी जो मै बिछड़ जाऊँ इस अफ्साने मे
तुम अग्नि परीक्षा मत लेना मुझे आजमाने मे
आओ ना राम सिया सा इश्क करे
हम धरा पे प्रेम का प्रतिमान बने
कविता गुज्जर