अर्जुन सी मेरी आंख
मंजिल से हटती नही
बाधाएं अब दिखती नही
मुश्किले अब टिकती नही
अर्जुन सी मेरी आँख
क्षण भर भी झपकती नही
ये सफलता की घूमती मछली
आँख से घूरती मुझे
मै आँख मे आँख डाल
क्रोध से घूरती उसे
अर्जुन सी मेरी आँख
आँख से हटती नहीं
वो मंजिल की चिडिया
छिप रही बाधाओँ मे
मै श्रम का तीर लिये
डटी हुई राहों मे
अर्जुन सी मेरी आँख
पल भर भटकती नही
कविता चौधरी