शान्ती की ओर अग्रसर हो जाये
हृदय मे दया का भाव हो
और तन मे ऊर्जा का संचार हो जाये
यही है आध्यातम की पहचान।
जब मानव अध्यातम अपनाता है
तब ईश्वरीय शक्ती को पाता है
जब शोक और हर्ष की स्थिति मे
सदा एक समान ही रहता है
यही है अध्यातम की पहचान।
मन स्थिर रहे, बूद्धी तीव्र रहे
जब खुशी और विवेक का मेल रहे
जब आत्मा का परमात्मा से
एक पवित्र सम्बंध बना रहे
यही है आध्यातम की पहचान
जब आत्मज्ञान की अनुभूति हो
और निर्मलता की परिपूर्ती हो।
जब साधना का अभ्यास हो
परमात्मा का अहसास हो
यही है अध्यातम की पहचान
कविता चौधरी