मै कविता हूँ,
मेरे दिल मे ना जाने कितने ही भाव
शब्द रूप मे समाये है।
मै एक ऐसी कविता हूँ
जिसे आज तक किसी ने लिखा नही
ना ही मुझे कभी पढ़ पाये है
मै कविता हूँ
मै कई बार किसी के होठो तक गयी
पर मुझे किसी ने गुनगुनाया नही।
मै ऐसी कविता हूँ
जिसके शब्दों को बिना समझे ही
इसके भावों का अर्थ लगाया है
मै कविता हूँ
मुझे खुदा ने बड़े प्रेम से रचा है
प्रेम से ही मेरा जीवन सजा है
मै ऐसी कविता हूँ
जिसका आस्तित्व ही प्रेम से बना है
प्रेम बिना मुझमे कुछ नही बचा है
मै कविता हूँ
जो मन के भावों को कागज पर
कलम से निखारा करती हूँ
मै ऐसी कविता हूँ
जो भावों के धागे मे बाँधकर
शब्दों की माला पिरोया करती हूँ ।
कविता चौधरी