पर्याप्त है मेरे लिये
बस एक ही आराधना
माँ है आराध्य मेरी
करुँ उन्ही की अर्चना
ममतामयी स्पर्श से
हर लेती जो हर दुख मेरा
करुणामयी दृष्टी से
हर लेती सन्ताप मेरा
आराधना कर जोड़ करूं
मै माँ का प्रतिरूप बनु
अराध्य मेरी माँ रहे
मै उनकी आराधना करूं
आराधना मेरी पूर्ण हो जाये
जब माँ का गुणगान करुँ
कभी ना बदले भगवान मेरा
आराधना उनकी हर हर बार करुँ
आराधना मे जो सुख मिलता
वो कहाँ, कहीं ओर मिले
मन जब बेचैन हो
आराधना से ही चैन मिले
कविता चौधरी