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बाँझ की ममता

3 अप्रैल 2022

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ममता से भरी आँखे
तरसती प्यार लुटाने को
बाहों मे भर कर नन्हा बचपन
तरसती रोज झुलाने को

गोदी मे खेले कोई नटखट
थपकी दे सुलाने को
हृदय संग लगाकर उसको
गा-गा लोरी सुनाने को

पीछे-पीछे भागूँ उसके
निवाला एक खिलाने को
तुतलाकर बोलूं मै भी
उसके संग बतियाने को

अम्मा अम्मा बोले मुझको
गोदी मे चढ़ जाने को
कभी पल्लू पकड़कर रोए
जिद्द अपनी मनवाने को

दाता सूनी गोद तू भरदे
बांझपन से मुक्त करदे
बेटा दे चाहे दे दे बेटी
बस मुझको परिपूर्ण करदे

कविता चौधरी 


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रचनाएँ
कविता की कलम से
5.0
इस पुस्तक मे आओ मिले जुले विषयों से सम्बंधित कविताएँ पढेंगे। जैसे कि समाजिक, पारिवारिक इत्यादि ।
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कविता की कलम से

6 मार्च 2022
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कविता की कलम से जाने कितनी कवितायें निकल गई । कागज के पन्नों पर मानो सपनों सी बिखर गई । हर अल्फाज़ एक सवाल लिए, मुझको जैसे घूर रहा है ताने दे देकर मुझको बार- बार ये पूछ रहा है कलम के कोमल हाथों से कब त

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प्रचंड वेग

6 मार्च 2022
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प्रचंड वेग है सपनो काबहा ले जाता संगदिशा हीन सी बहती हूँधुंधला सा जीवन का रंगअखण्ड प्रण है जीवन कोदिशा एक दिखानी हैधुंधले से इस जीवन मेपारदर्शिता लानी हैभाद्र पाद की बूंदों सीगरजुँ भी और बरसुँ भीवेग त

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छू ले आसमां

7 मार्च 2022
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दिल के अरमानों को आज कागज़ पर उतार दे।टूटे हुये सपने को , फिर से तू सवार दे।बिखरी जो तकदीर के हाथो, उन तमन्नाओं को आज।अपने हाथों से समेट, फिर से नया निखार दे।वही सपने वही अरमान दिल में फिर उठने लगे।एक

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सिखर दोपहरी

7 मार्च 2022
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वो जून की सिखर दोपहरी मुझको बहुत रुलाती हैहाय! रे उस बालक की याद बहुत आती हैखड़ी चौराहे पर मै लिये हाथ मे छाता धूप का एक भी कण मुझको ना छू पाता आँखो मे चश्मा औढ़े देख

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एक मुलाकात गरीबी से

9 मार्च 2022
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रास्ता मै भटक गई थी, गरीब बस्ती मे अटक गई थी। मुलाकात हुई गरीबी से, फटे-हाल नसीबी से । नजर घुमायी चारो ओर, गरीबी मचा रही थी शोर। छोटे-छोटे बच्चे, मैले कुचैले मुखडे। हाथ मे थे उनके सुखी रोटी के टुकडे।

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त्राहि-माम त्राहि-माम

10 मार्च 2022
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त्राहि माम त्राहि माम त्राहि माम त्राहि माम धरती कर रही पुकार त्राहि माम त्राहि माम सुनो मेरी व्यथा प्रभू सुनकर कुछ तो करो प्रभू धरती पर है बोझ बढ़ा मुझसे अब ना जाए साहा मानव ही मानव हर जगह है एक क

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सतयुग की स्थापना

11 मार्च 2022
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धरातल की गोद मे, पाप रहा फलता जब-जब आसमां के रौद्र से, अश्रु धारा बही जब-जब प्रकट होकर तब-तब तुझको मानव जीवन बचाना होगा सतयुग की स्थापना को फिर से दोहराना होगा पीडित नेत्रों से जब-जब टीस भरे हृद

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भारत की शिक्षा प्रणाली

12 मार्च 2022
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वाह रे वाह, शिक्षा प्रणाली भारत की शिक्षा प्रणाली किताबों के बोझ ने जान बच्चों की ले ली स्लेबस की दरों दीवारों मे कैद हो गया बचपन होम वर्क मे सिमटे रह गये बालपन ये नटखट आँख खुले स्कूल मे शाम कटे कि

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देश पराया वेश पराया

13 मार्च 2022
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देश पराया वेश पराया देश पराया वेश पराया देश पराया वेश पराया आज फिर मन भर आया याद आई उस छोटे से शहर की भाई-बहन और शाम के पहर की माता-पिता और प्यारी नानी कभी सुनाते थे कहानी कभी लड़ते भईया हमसे कभी हम भ

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आश्रम

14 मार्च 2022
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धर्म, धर्म ना रहा अब तो पाप कर्म का अड्डा है गुंडों से लड़ते हैं सारे लोग यहां जो इकट्ठा है मुहँ मे राम बगल मे छुरा सिद्ध यहाँ पे होता है आता है जो आज यहाँ कल वही तो रोता है कोई गुरु जी बन बैठा है

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रंगमंच

15 मार्च 2022
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इन्सान तेरी क्या है हस्ती इन्सान तेरी क्या है बस्ती जिन्दगी के रंगमंच पर कठपुतली बन नाच रहा है किसमे कितना अभिनय वो ऊपर बैठा जांच रहा है मोह के धागे मे बँधकर रंग बिरंगे कपड़ो मे सजकर जो तुझे नचा

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मै शहीद हूँ

16 मार्च 2022
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पुलवामा हमले में शहीद हुए एक शहीद का सन्देश मैं शहीद हूं तुम मेरी आन बचाए रखना। महफूज रखना भारत मां की शान बनाए रखना। आज मोहब्बत के दिन मोहब्बत निभा चला हूँ। मैं भारत मां पर अपनी जान लुटा चला हूँ। मु

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स्वदेश प्रेम

17 मार्च 2022
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वो ह्रदय भी क्या ह्रदय है जिसमे स्वदेश प्रेम नही निर्भाव, पाषाण सा प्रतीत हो जिस ह्रदय मे देश प्रेम नही वो कलम भी क्या कलम है जिसने स्वदेश लिखा नही वो कवि भी क्या कवि है जिसमे स्वदेश बसा नही वो कविता

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आओ बचपन बचाएं

17 मार्च 2022
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फिर बाहर की दुनिया सेपुलकित हो जाये बचपनलेकर इनके हाथों सेमोबाइल के सम्मोहनआओ इनके हाथो मे गुल्लि-डन्डा फिर थमाएंआओ मिलकर बचपन बचाएं टी.वी. कंप्यूटर बन्द करायें आँखो से चश्में हटवाएंउलझ

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टूटते छूटते रिश्ते

18 मार्च 2022
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टूटते हुये रिश्तों को आओ समेट लेते है छूटते हुये धागों को कस के पकड़ लेते है दुनिया की भीड मे जो खो रहे है आओ उन किस्सों को फिर से घेर लेते है रिश्तों की अहमियत का तब चलेगा जब हम से कोई एक ना रहेगा क्य

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अध्यात्म की पहचान

19 मार्च 2022
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जब हमारा मन भोगों को त्याग शान्ती की ओर अग्रसर हो जाये हृदय मे दया का भाव हो और तन मे ऊर्जा का संचार हो जाये यही है आध्यातम की पहचान। जब मानव अध्यातम अपनाता है तब ईश्वरीय शक्ती को पाता है जब शोक और ह

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वो बन्द खिड़की

20 मार्च 2022
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वो बन्द खिड़की मुझे आज भी कोसती है मेरी आत्मा को हर पल झिंझोडती है जहाँ से आती किसी की सिसकियाँ मेरे कानो को हर पल नोचती है। वो बन्द खिड़की जिसके पीछे किसी के दिए संस्कार कराह रहे थे बूढ़े माँ बाप अपनी

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मै कविता हूँ

21 मार्च 2022
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मै कविता हूँ,मेरे दिल मे ना जाने कितने ही भाव शब्द रूप मे समाये है।मै एक ऐसी कविता हूँ जिसे आज तक किसी ने लिखा नहीना ही मुझे कभी पढ़ पाये हैमै कविता हूँ मै कई बार किसी के होठो तक गयीपर म

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शिवरात्रि

22 मार्च 2022
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हे त्रिकालदर्शी शमशान वासी तुम्हे नमन, हे शंभू शूल पाणि उठो सर्वेश्वर शिखर चन्द्र सजाओ विष्णुप्रिय अब रूप बदल आयो जल स्नान करो हे भस्म रमैया थोड़ा श्रृंगार करो हे भुजंग सजैया छवि देख ना डरे मेरी मई

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बसंत ऋतु

22 मार्च 2022
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बसंत ऋतु आयो रे कोयलिया गीत गायो रे प्रकृति का रोम-रोम खिला विरहन को जैसे प्रियतम मिला विदा हो गयी बेदर्दी शीत किशोरी झूम गाये रे गीत फूलों की फूटी कपोलें भवरेँ बनकर आये रे मीत खेतों मे सरसों लहराए पी

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बसंत पंचमी

23 मार्च 2022
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माघ शुक्ल की तिथी पंचमी श्री पंचमी या बसंत पंचमी ज्ञान की देवी सुर की जननी प्रकटी जगत में हुई पीत अवनी अज्ञानता हरले, हे वीणा वादिनी तन में नव सुधा भरदे, हे हंसिनी तिमिर हरले ज्ञान प्रकाशिनी विद्या

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बस कुछ दिन और

23 मार्च 2022
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आ बाबुल गले लगा ले थोड़ा सा लाड लडाले । उड़ जायेगी तेरी चिडिया सूनी हो जायेगी ये गलियाँ बाबुल तेरे हाथों से मुझको खिला दे एक निवाला मेरे सिर पे रखदे अपना ये हाथ आशीषों वाला अब ना कोई जिद्द करेगा तुझस

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रोटी

24 मार्च 2022
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रोटी के पीछे हरदम भाग रहा इन्सानजीने की खातिर जीना भूल गया इन्सान।गावँ छोड़ा, अपने छोड़े, छोड़ दिया घर बाहरधूप-छाँव, सर्दी-गर्मी, आँधी हो या बरसातरवि से पहले उठकर दौड़े शशि चमके घर आये।रात को बच्चे सोये म

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राम सिया सा इश्क

26 मार्च 2022
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चलो ना राम सिया सा इश्क करे हम धरा पे प्रेम का प्रतिमान बने हाथ पकड़ मेरा तुम ले जाना वन मे मै जोगन बन सदा चलूँ तुम्हारे संग मे काँटा ना कोई चुभने दूँगी तेरे पग मे मै अपना आँचल बिछा दूँ तेरे पथ मे मै

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बिक रहा इन्सान

26 मार्च 2022
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दिल बिक रहे है लोग बिक रहे है दौलत की दलदल मे सब फँस रहे है। कहीं आंतकवादियों की भीड़ लगी है कहीं नेताओं की नेतागिरि है एक सामने से तलवार चलाता दूसरा कुर्सी का लाभ उठाता। लोग ऐसे बिक रहे है जैसे चौरा

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मै शायर गुमनाम

26 मार्च 2022
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मैं शायर गुमनाम हूँ मुझे गले लगा लो शायरी की दुनिया में मेरा नाम करा दो मेरे लिखने मेरे पढ़ने का कोई मोल नही आओ ना, तुम मुझे अनमोल बना दो मै शायर..... यूँ तो मुझे चाहने वाले है बहुत लेकिन तुम पढ़

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विदेश यात्रा

30 मार्च 2022
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बड़ी मुश्किल से इकठ्ठा किये थे थोड़े से रूपये जमा किये थे जमीन बेच कर सारे रूपये एजेंट को समर्पित किये थे बेटी को विदेश भेजने के बाप ने सारे इन्तजाम किये थे महीनो धक्के-मुक्के खाए थे ऑफ़िसो के चक्कर

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उम्मीद

30 मार्च 2022
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मै अन्धेरो मे उजाला ढूंढ़ती हूँ तुफाँ मे सहारा ढूंढती हूँ । भटक रही जो मझधार मे उस कश्ती का किनारा ढूंढ़ती है। उजड़ी हुई बस्ती मे कोई इमारत महफूज ढूँढती हूँ मैं टूटती हुई दीवारों मे कोई दीवार मज

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अराधना

30 मार्च 2022
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पर्याप्त है मेरे लिये बस एक ही आराधना माँ है आराध्य मेरी करुँ उन्ही की अर्चना ममतामयी स्पर्श से हर लेती जो हर दुख मेरा करुणामयी दृष्टी से हर लेती सन्ताप मेरा आराधना कर जोड़ करूं मै माँ का प्रतिरूप

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एक गुप्तचर

2 अप्रैल 2022
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भेजा राम ने एक गुप्तचरजाओ प्रजा के बीच जाओदेखो कैसी दशा प्रजा कीआकर मुझको हाल सुनाओगया गुप्तचर भेस बदलनगर नगर घूमा रात भरलिया हाल प्रजा के मन काहिल गया अन्त:स्थल दिल कापहुँचा राजा राम के सम्मुखमौन धार

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वृक्षारोपण

2 अप्रैल 2022
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हे, कन्हैया आज फिर तुम आ जाओनिर्वस्त्र हो रही धरती की लाज बचा लोइस युग के अधर्मी मानवों के हाथों धरती को वृक्ष हरण से तुम बचालोये अधर्मी मानव कर रहा है बार-बार आज धरा के वस्त्रों को ता

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बाँझ की ममता

3 अप्रैल 2022
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ममता से भरी आँखे तरसती प्यार लुटाने को बाहों मे भर कर नन्हा बचपन तरसती रोज झुलाने को गोदी मे खेले कोई नटखट थपकी दे सुलाने को हृदय संग लगाकर उसको गा-गा लोरी सुनाने को पीछे-पीछे भागूँ उसके निवाला एक ख

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अर्जुन सी मेरी आँख

3 अप्रैल 2022
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अर्जुन सी मेरी आंख मंजिल से हटती नही बाधाएं अब दिखती नही मुश्किले अब टिकती नही अर्जुन सी मेरी आँख क्षण भर भी झपकती नही ये सफलता की घूमती मछली आँख से घूरती मुझे मै आँख मे आँख डाल क्रोध से घूरती उसे अर

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