ममता से भरी आँखे
तरसती प्यार लुटाने को
बाहों मे भर कर नन्हा बचपन
तरसती रोज झुलाने को
गोदी मे खेले कोई नटखट
थपकी दे सुलाने को
हृदय संग लगाकर उसको
गा-गा लोरी सुनाने को
पीछे-पीछे भागूँ उसके
निवाला एक खिलाने को
तुतलाकर बोलूं मै भी
उसके संग बतियाने को
अम्मा अम्मा बोले मुझको
गोदी मे चढ़ जाने को
कभी पल्लू पकड़कर रोए
जिद्द अपनी मनवाने को
दाता सूनी गोद तू भरदे
बांझपन से मुक्त करदे
बेटा दे चाहे दे दे बेटी
बस मुझको परिपूर्ण करदे
कविता चौधरी