वर्तमान समय में, बच्चे जिस तरह का लाइफस्टाइल जी रहे हैं, उसका सबसे बुरा प्रभाव उन्हीं की हेल्थ पर देखने को मिल रहा है। माॅडर्न युग के बच्चे घर के बने हेल्दी फूड के स्थान पर नूडल्स, बर्गर, पिज्जा आदि खाना ज्यादा पसंद करते हैं। ऐसे में उनका शारीरिक व मानसिक विकास बाधित होने लगा है। अगर आपके घर में भी बच्चा खाने से जी चुराता है तो परेशान होने की आवश्यकता नहीं है। बस आप कुछ उपाय अपनाकर उसे हेल्दी फूड बेहद आसानी से खिला सकती हैं-
ना करें जबरदस्ती
कभी भी बच्चे के साथ खाने को लेकर जबरदस्ती न करें। ऐसा करने से वह उस समय भले ही भोजन कर ले लेकिन उसके बाद उसे हेल्दी फूड कभी भी अच्छा नहीं लगेगा। अगर वह खाने के लिए मना कर रहा है तो उसे कुछ देर के लिए यूं ही छोड़ दें। हालांकि यह भी सुनिश्चित करें कि वह बाहर जाकर कुछ न खाएं। थोड़ी देर बाद जब उसे भूख लगेगी, तो यकीनन वह आपसे खाना मांगेगा।
समझाएं वैल्यू
बच्चे को यह कहने की बजाय कि तुम्हें घर का खाना ही खाना है, उसे हेल्दी फूड की वैल्यू समझाएं। एक बार बच्चा उस खाने से होने वाले फायदों के बारे में जान जाएगा तो भोजन करने में कभी भी आना-कानी नहीं करेगा। मसलन, अगर आप दाल बना रही हैं तो उसे बताएं कि इसमें बहुत सारा प्रोटीन होता है और अगर वह दाल खाता है तो इससे उसे ताकत मिलेगी या फिर इससे उसकी स्किन सुंदर होगी। इस प्रकार फल व सब्जियों के पोषक तत्वों के बारे में बताकर बच्चे को खाने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है।
बनाएं शेड्यूल
बच्चे को हेल्दी फूड खिलाने का एक सबसे आसान तरीका है कि उसके लिए एक शेड्यूल बनाया जाए। उदाहरण के तौर पर, आप सप्ताह में छह दिन हेल्दी फूड बनाएं और छुट्टी वाले दिन उसकी पसंद का डिनर बाहर जाकर करें। इसके अतिरिक्त सप्ताह के बीच में भी जो भी भोजन बनाएं, उसमें उसकी मनपसंद सब्जियों को जरूर शामिल करें।
लें मदद
खाने की तैयारी करते समय बच्चे की मदद लेकर भी उसे घर का बना हुआ भोजन खिलाया जा सकता है। आप खाना बनाते समय उसे फ्रिज से सब्जी लाने को कहें या फिर उसे वाॅश करवाएं। उसके साथ मिलकर भोजन बनाएं। ऐसा करने से बच्चे को लगता है कि भोजन उन्होंने ही बनाया है और अपने बनाए खाने को वह कैसे नकार सकते हैं।
बदलें स्वरूप
बहुत सी सब्जियां ऐसी होती हैं, जो बच्चों को खाना पसंद नहीं होता और अगर वह उन्हें दिख जाएं तो वह उन्हें छांट-छांटकर अलग कर देते हैं। इसका सबसे बढ़िया विकल्प है कि आप भोजन का स्वरूप ही बदल लें। मसलन, अगर आपका बच्चा घीया की सब्जी नहीं खाता तो आप उसे कद्दूकस करके आटे में मिला लें। इसी तरह अन्य सब्जियों को भी बारीक कद्दूकस करके चावल, सब्जी या आटे में मिलाकर परोसा जा सकता है। वहीं कुछ बच्चे ऐसे होते हैं, जो एक जगह बैठकर खाना पसंद नहीं करते, उनके लिए भी भोजन का स्वरूप बदलना बेहद आवश्यक है। मसलन, अगर बच्चा जल्दी में रहता है तो आप रोटी के बीच में ही सब्जी रखकर वेज रोल बनाकर उन्हें खाने के लिए दें, ताकि वह खेल-खेल में ही भोजन कर लें और उन्हें पता ही न चले।
पसंद का ख्याल
अगर बच्चे की पसंद का ख्याल रखते हुए भोजन पकाया जाए तो बच्चा कभी भी खाना खाने में आनाकानी नहीं करता। जिन सब्जियों को बच्चा नहीं खाता, उन्हें बच्चों के सामने कुछ इस तरह पेश किया जाना चाहिए कि वह खुद को रोक ही न पाए। मसलन, अगर बच्चे को मिकी माउस पसंद है तो मार्केट में उस शेप में मोल्ड्स बेहद आसानी से मिलते हैं। बस आप उन मोल्डस को ले आइए और उन सभी सब्जियों को मैश करके मिकी माउस की शेप्स के कटलेट बनाएं या फिर उन मोल्डस की सहायता से अन्य भी कई चीजें बनाई जा सकती है। जब बच्चा प्लेट में अपने फेवरिट मिकी माउस को देखेगा तो यकीनन उसका मन उसे खाने के लिए ललचाएगा। इसी तरह बाजार से उनकी पसंद का मग लाकर उन्हें उसमें दूध या जूस आदि पीने के लिए दें। आपको शायद पता न हो लेकिन आकर्षक बर्तन भी बच्चों में खाने की इच्छा जागृत करते हैं।
नाम का खेल
बच्चे एक ही तरह की सब्जी को बार-बार खाना पसंद नहीं करते तो क्यों न सब्जियों के नाम ही बदल दिए जाएं। मसलन, अगर आप उन्हें ब्रोकली खाने के लिए दे रही हैं तो उसका नाम बदलकर बेबी टी रखा जा सकता है। इसी तरह अन्य सब्जियों के रंग-रूप के आधार पर भी सब्जियों का नाम बदला जा सकता है। इससे भोजन करना भी उसके लिए एक मस्ती बन जाएगा और वह खुश होकर भोजन करेगा।
बनें रोल माॅडल
हर बच्चे के रोल माॅडल उसके माता-पिता ही होते हैं। अगर उनमें ही अच्छी ईटिंग हैबिट्स नहीं होंगी तो बच्चा कभी भी अच्छी ईटिंग हैबिट्स डेवलप नहीं कर पाएगा। इसलिए पहले आप स्वयं भी जंक फूड, आॅयली, फ्राईड या बाहर के खाने को ना कहें और बच्चों के साथ बैठकर होममेड और हेल्दी भोजन करें। एक बात हमेशा याद रखें कि बच्चे हमेशा बड़ों को ही फाॅलो करते हैं, इसलिए बच्चों को सुधारने से पहले खुद में बदलाव करना बेहद जरूरी है।
अलग हो प्लेट
घर में सभी सदस्य भले ही एक साथ भोजन करें लेकिन हर व्यक्ति को अलग से प्लेट दी जानी चाहिए। खासतौर से, बच्चे को तो हरदम ही अलग से प्लेट दें। इससे आपको मालूम होगा कि उसने पेटभर खाना खाया है या नहीं। साथ ही अलग से प्लेट में भोजन देने पर बच्चे को सभी जरूरी पोषक तत्व संतुलित मात्रा में मिलेंगे। चूंकि बच्चे बड़ों की एक्टिंग करते हैं, इसलिए अगर आप अलग से प्लेट लेंगे और उसे भी अलग से प्लेट देंगे तो यकीनन वह बड़ों की तरह अपना खाना खत्म करना चाहेगा।
न करें यह गलती
आज के समय में हर घर में भोजन करते समय बच्चे टीवी या फोन का इस्तेमाल करते हैं और पैरेंट्स को लगता है कि इससे वह बच्चे को बेहद आसानी से भोजन खिला सकते हैं। ऐसा करने की गलती न करें। दरअसल, इस तरह वह उस समय तो भोजन कर लेंगे लेकिन उनमें कभी भी अच्छी ईटिंग हैबिट्स डेवलप नहीं होंगी और अगर कभी टीवी या फोन खराब होगा तो आपके लिए उन्हें खाना खिलाना जी का जंजाल बन जाएगा।