आज की भागदौड़ भरी जिन्दगी में लोगों के पास अपनों के समय की बेहद कमी है। जिस तरह कारपोरेट कल्चर से उन्नति के अवसर खोले हैं, उससे रिश्तांे पर आंच आनी शुरू हो गई है। सबसे पहले तो लोग जल्द से जल्द अपने जीवन में सफलता की उंचाईयों को छू लेना चाहते हैं, वहीं दूसरी ओर कंपनी भी अपने कर्मचारियों को हर आवश्यक सुविधा मुहैया कराती है, जिससे आॅफिस ही व्यक्ति का दूसरा घर बन जाता है। इस तरह रिश्तों में दरार आना तो लाजमी है। अगर आपको भी ऐसा लग रहा है कि आपकी प्रोफेशनल लाइफ की व्यस्तता के चलते आप अपनी पारिवारिक जिम्मेदारियों का निर्वहन नहीं कर पा रहे हैं या फिर इसका असर अब आपके रिश्तों पर पड़ने लगा है तो जरूरत है कि आप अपनी प्रोफेशनल और पर्सनल लाइफ में एक बैलेंस बनाना सीखें। तो चलिए जानते हैं इस कला के बारे में-
तय करें प्राथमिकता
अधिकतर व्यक्तियों की यह समस्या होती है कि वह अपने जीवन में प्राथमिकताएं सुनिश्चित नहीं कर पाते। जब वह आॅफिस मंे होते हैं तो घर के बारे में सोचते हैं या फिर मोबाइल व सोशल मीडिया पर अपना अधिकतर समय नष्ट कर देते हैं और घर पहुंचने के बाद जब उनका काम अधूरा रह जाता है तो ॉफिस की मेल, मेसेज और आने वाले असाइनमेंट में बिजी हो जाते हैं। जिससे उनकी वर्क और पर्सनल लाइफ दोनों ही बिगड़ जाती है। इसलिए सबसे जरूरी है कि आप पहले अपनी प्राथमिकता तय करें। उसमें यह सुनिश्चित करें कि किस समय आपको क्या करना है। अगर जरूरत हो तो दिन मंे खत्म करने वाले कामों की एक लिस्ट बना लें और उसके लिए समय सुनिश्चित करें ताकि समय रहते आपका सारा काम खत्म हो जाए और फिर आप खुलकर जी सकें।
घर पर नो काम
अगर आप अपने वैवाहिक जीवन का भरपूर आनंद उठाना चाहते हैं तो यह जरूरी है कि आप आॅफिस के काम व चिंताओं को आॅफिस में ही छोड़ कर आएं। बहुत से लोग घर पर आने के बाद भी आॅफिस के काम में जुटे रहते हैं, जिसके कारण उन्हें परिवार के साथ समय बिताने का वक्त नहीं मिलता।
इंजाॅय करें वीकेंड
अगर आपके पास पूरे सप्ताह अपने परिवार को समय देने का मौका नहीं है तो वीकेंड को जमकर इंजाॅय करें। इस छुट्टी में अपना अधिकतर समय परिवार के साथ बिताएं और इस दौरान फोन, इंटरनेट व आॅफिस के कामों से दूरी बनाएं। इससे रिश्तों में नवीनता तो आएगी ही, साथ ही आप खुद को भी पूरी तरह रिचार्ज महसूस करेंगे। जिससे आपकी कार्यक्षमता व वर्क परफार्मेंस भी सुधरेगी।
सीखें खुद का ख्याल रखना
कुछ लोग काम के बोझ तले कुछ इस कदर दब जाते हैं कि अपना ख्याल रखना ही भूल जाते हैं। और खुद का ख्याल न रखने की स्थिति में आप न तो आॅफिस का काम संभाल पाते हैं और न ही अपने रिश्तों को सहेज पाते हैं। इसलिए सबसे पहले खुद का ख्याल रखना सीखें। जब आप एक्टिव और स्वस्थ रहेंगे तो इससे आपकी क्षमता बढे़गी। साथ ही आपके लिए अपनी वर्क और पर्सनल लाइफ को बैलेंस करने में आसानी होगी।
ना कहना सीखें
इस बात में कोई दोराय नहीं है कि हर व्यक्ति अपनी एक कार्यक्षमता है। ऐसे में अगर आपको ऐसा काम करने के लिए मिले, जो आपकी क्षमताओं से बाहर है तो उसे बेहद विनम्रता से मना कर दें। इसके अतिरिक्त कई बार ऐसा होता है कि व्यक्ति के पास पहले से ही कुछ प्रोजेक्ट होते हैं और नए प्रोजेक्ट को समय देना मुमकिन नहीं होता लेकिन अपने सीनियर्स को नाराज न करने के चक्कर में व्यक्ति हां कह देता है। अगर आप भी इसी स्थिति में हैं तो एक सही कारण देते हुए अपने सीनियर्स को नए काम के लिए मना कर दे।