मासिक धर्म में हर स्त्री के शरीर में हार्मोनल बदलाव होते हैं, जिसके कारण उसे कई तरह के कष्ट सहने पड़ते हैं। कुछ महिलाओं को तो अनियमित माहवारी की ही समस्या रहती है। कुछ महिलाओं को अत्यधिक दर्द तो कुछ को हैवी ब्लीडिंग, वहीं कुछ महिलाएं बेहद कमजोरी महसूस करती हैं। वैसे तो यह समस्या तीन-चार दिन में स्वतः ही दूर हो जाती है, लेकिन अगर आप अपने उन दिनों को भी बेहद सहज बनाना चाहती हैं तो जरूरी नहीं है कि दवाईयों का ही सेवन किया जाए। आप योग का सहारा लेकर भी अपने माहवारी के दिनों के कष्ट से निजात पा सकती हैं। तो चलिए जानते हैं ऐसे कुछ योगासनों के बारे में, जो पीरियड्स के दौरान होने वाली तकलीफों को कम करने में मददगार हैं-
सुप्त बद्धकोणासन
चूंकि पीरियड्स के दौरान स्त्री को अत्यधिक थकान का अनुभव होता है तो इस आसन के अभ्यास से शरीर में उर्जा का संचार होता है। साथ ही इस आसन से जंघाओं को रिलैक्स मिलता है। इस आसन को करने के लिए सबसे पहले शवासन की मुद्रा में पीठ के बल लेट जाएं। साथ ही बांहों को शरीर के दोनों तरफ पैर की दिशा में फैलाकर रखें। इस स्थिति में हथेलियां छत की दिशा में रहनी चाहिए। घुटनो को मोड़ें और तलवों को जमीन से लगाकर रखें। दोनों तलवों को नमस्कार की मुद्रा में एक दूसरे के करीब लाकर जमीन से लगाएं। जितना संभव हो एड़ियों को जंघा की ओर करीब लाएं। कुछ देर इसी अवस्था में रहें और फिर धीरे धीरे सामान्य स्थिति में लौट आएं। वैसे तो यह आसन पीरियड्स में काफी अच्छा माना गया है। लेकिन अगर किसी महिला को घुटने, कमर या हिप्स में तकलीफ हो तो फिर इस आसन का अभ्यास न करें।
बालासन
बालासन करने का सबसे बड़ा लाभ यह है कि पीरियड्स के दौरान हार्मोनल बदलावों के कारण महिला के स्वभाव में जो बदलाव आता है, यह उसे नियमित करने का काम करता है। इस आसन को करने से महिला खुद को काफी रिलैक्स महसूस करती है, जिससे उसे दर्द या तनाव का अहसास काफी हद तक कम होता है। साथ ही यह आसन कमरदर्द को भी दूर करता है। इसे करने के लिए फर्श पर घुटनों के बल बैठ जाएं। इस दौरान आपका पंजा बाहर की तरफ होना चाहिए। अब कमर को आगे की तरफ लाते हुए हाथ को बिल्कलु सीधा रखें। आगे की तरफ झुकते समय आपका माथा फर्श से टच होना चाहिए। इस पोजीशन में 10 गिनने तक रहें। उसके बाद धीरे से सांस छोड़ते हुए सामान्य स्थिति में वापिस लौट आएं।
अर्धहलासन
जिन महिलाओं को अनियमित माहवारी की समस्या है या फिर जिन महिलाओं को माहवारी के समय अत्यधिक कष्ट का सामना करना पड़ता है, उनके लिए यह आसन किसी रामबाण से कम नहीं है। अर्धहलासन का अभ्यास करने के लिए सबसे पहले शवासन में लेट जायें। अब हाथ की हथेलियों को जांघों के पास निचे की ओर करके टिका लें। साथ ही दोनों पैरो को एक दुसरे से मिलकर रखे और इस समय आपका मुख आकाश की ओर सीधा होना चाहिए। अब धीरे धीरे साँस लें और पेट को सिकुडाकर पैरों को बिना मोडे धीरे धीरे ऊपर की ओर उठायें। जब दोनों पैर शरीर के समकोण बनाने लगे तो तो धीरे धीरे साँस छोड़ते हुए अपने आप को स्थिर करें। कुछ देर इसी अवस्था मे बनी रहें। अंत में पुनः धीरे धीरे आरंभिक स्थिति में आ जाये। ध्यान रहे इस आसन के सम्पूर्ण क्रिया में घुटनों को नहीं मोड़ना है।
सेतुबंधासन
यह आसन न सिर्फ मासिक धर्म के दौरान स्त्री के शारीरिक कष्ट को कम करता है, बल्कि उसके तनाव को भी दूर करके उसे रिलैक्स महसूस करवाता है। इस आसन का अभ्यास करने के लिए पहले पीठ के बल लेट जाएँ। अपने घुटनो को मोड़ लें। घुटनो और पैरों को एक सीध में रखते हुए, दोनों पैरों हल्का सा फैला ले। इस दौरान आपकी हथेलियाँ जमीन पर रहनी चाहिए। अब साँस लेते हुए, धीरे से अपनी पीठ के निचले, मध्य और फिर सबसे ऊपरी हिस्से को जमीन से उठाएँ। धीरे से अपने कन्धों को अंदर की ओर लें। बिना ठोड़ी को हिलाये अपनी छाती को अपनी ठोड़ी के साथ लगाएँ और अपने कन्धों, हाथों व पैरों को अपने वजन का सहारा दें। शरीर के निचले हिस्से को इस दौरान स्थिर रखें। दोनों जंघा इस दौरान एक साथ रहेंगी। चाहें तो इस दौरान आप अपने हाथों को जमीन पर दबाते हुए शरीर के ऊपरी हिस्से को उठा सकते हैं। अपनी कमर को अपने हाथों द्वारा सहारा भी दे सकते हैं। कुछ क्षण इस अवस्था में रूकने के बाद प्रारंभिक स्थिति में लौट आएं।