गर्भावस्था के नाजुक दौर में हर स्त्री को अपना अतिरिक्त ध्यान रखना पड़ता है। खासतौर से, उसके द्वारा खाई गई हर चीज का असर उसके गर्भस्थ शिशु पर पड़ता है। ऐसे में यह जरूरी है कि एक गर्भवती स्त्री डाॅक्टर के परामर्श के अनुसार ही खाद्य पदार्थों का चयन करे। यूं तो इस अवस्था में बहुत सी चीजों को खाने की मनाही होती है। लेकिन किशमिश ऐसी मेवा है, जिसका सेवन आप बेझिझक होकर कर सकती हैं। इतना ही नहीं, अगर गर्भावस्था या प्रसव के बाद किशमिश का सेवन किया जाए तो इससे बहुत से लाभ प्राप्त होते हैं। तो चलिए जानते हैं इसके बारे में-
करे दांतों की देखभाल
गर्भावस्था में स्त्री के दांत अधिक सेंसेटिव हो जाते हैं। कई बार तो गर्भवती स्त्री को मसूड़ों से खून आने की भी समस्या होती है। वहीं अगर इस अवस्था में ओरल हेल्थ का ख्याल न रखा जाए तो बार-बार मतली व उल्टी आती है। ऐसे में किशमिश का सेवन करना काफी अच्छा माना जाता है। दरअसल, किशमिश में ओलीनोलिक एसिड होता है, जो दांतों को कैविटी और क्षय से बचाता है। यह मुंह की बदबू पैदा करने वाले बैक्टीरिया और मुंह की अन्य समस्याओं को भी रोकता है।
कब्ज का इलाज
गर्भावस्था के शुरूआती समय में अधिक महिलाओं को कब्ज की शिकायत होती है, ऐसे में किशमिश का सेवन करना चाहिए। किशमिश में उच्च फाइबर सामग्री होती है और गर्भावस्था के शुरुआती समय में कब्ज के दौरान होने वाली सबसे आम समस्या का इलाज करने में प्रभावी होती है। यह सूखा फल पानी को अवशोषित करता है और एक रेचक प्रवृत्ति बनाता है जो मल त्याग को आसान बनाता है।
बढ़ाए ब्लड सेल्स
गर्भावस्था के दौरान अधिकतर महिलाओं में आयरन की कमी हो जाती है, जिसका मुख्य कारण उनका आहार होता है। इस अवस्था में महिला को अधिक लौह तत्व की आवश्यकता होती है क्योंकि वे बढ़ते भ्रूण के लिए पोषक तत्व प्रदान करती हैं। किशमिश में विटामिन बी कॉम्प्लेक्स, आयरन और कई ऐसे खनिज होते हैं जो शरीर में हीमोग्लोबिन के स्तर को बढ़ाते हैं।
रोके कैंसर
गर्भावस्था के दौरान स्त्री के शरीर में कई तरह के परिवर्तन होते हैं। खासतौर से, इस अवस्था में हार्मोनल बदलाव काफी होते हैं। जिसके कारण स्त्री को कई गंभीर रोग होने की संभावना रहती है। कैंसर भी इसी में से एक है। लेकिन अगर आप किशमिश का सेवन करती हैं तो आपको यह गंभीर रोग होने की आशंका काफी हद तक कम हो जाती है। किशमिश में पाए जाने वाले एंटीऑक्सिडेंट शरीर में मौजूद मुक्त कणों से लड़ते हैं जो कैंसर के ट्यूमर के निर्माण का एक मुख्य कारण हैं।
बेहतर पाचन तंत्र
गर्भवती स्त्री को अधिकतर पाचन संबंधी परेशानियों का सामना करना पड़ता है, लेकिन अगर आप किशमिश का सेवन करेगी तो आपका पाचनतंत्र बेहतर तरीके से काम करेगा। किशमिश में मौजूद मैग्नीशियम और पोटेशियम अम्लता को कम करके पाचन को आसान बनाते हैं। इसके अतिरिक्त किशमिश की रेशेदार सामग्री जठरांत्र संबंधी मार्ग को साफ करने और शरीर से अपशिष्ट पदार्थों और विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करती है। यह प्रक्रिया गर्भवती महिला के शरीर में भोजन की आवश्यकता को भी बढ़ाती है जो बच्चे के विकास और उनके संपूर्ण स्वास्थ्य दोनों के लिए आवश्यक है।
उच्च उर्जा का स्तर
आपने कभी नोटिस किया होगा कि एक गर्भवती स्त्री अधिकतर थकान व शरीर में गिरावट का अहसास करती है। लेकिन अगर आप किशमिश को डाइट का हिस्सा बनाएंगी तो आपको अत्यधिक थकान की शिकायत नहीं रहेगी। किशमिश अंगूर का सूखा हुआ रूप है और इसमें फ्रक्टोज और ग्लूकोज की भरपूर मात्रा होती है जो हमारे द्वारा खाए जाने वाले भोजन से आवश्यक विटामिन को अवशोषित करता है और इस प्रकार शरीर में ऊर्जा लाता है। इसके अतिरिक्त किशमिश भी माँ की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करता है और यह श्रम और प्रसव के दौरान बहुत आवश्यक शारीरिक शक्ति देता है।
बच्चे के लिए लाभदायक
जहां एक ओर किशमिश गर्भवती स्त्री के लिए फायदेमंद है, वहीं दूसरी ओर यह गर्भ में पल रहे भ्रूण के लिए भी कई मायनों में लाभदायक है। गर्भावस्था के दौरान किशमिश का सेवन करने से बढ़ते भ्रूण को अच्छी दृष्टि विकसित करने में मदद मिलती है। इसके अतिरिक्त किशमिश में पर्याप्त मात्रा में कैल्शियम और आयरन होता है। गर्भवती होने पर किशमिश खाने से बच्चे की हड्डियों को मजबूत बनाने में मदद मिलती है।