आज के समय में लोग जिस तरह लगातार घंटों कंप्यूटर पर बैठकर काम करते हैं, उसके कारण गर्दन में दर्द की शिकायत होने लगती है। कई बार गलत पोजिशन में बैठने या लंबे समय तक एक ही तरह से बैठने के कारण यह परेशानी होती है। इस परेशानी से निपटने के लिए कई तरह के योगासनों का अभ्यास किया जा सकता है। तो चलिए जानते हैं उन योगासनों के बारे में, जो गर्दन दर्द से आराम दिलाने में मदद करते हैं-
बालासन
चूंकि इस आसन का अभ्यास करते समय शरीर का ऊपरी हिस्सा जमीन की ओर झुकता है इसलिए यह आसन कमर, पीठ, गर्दन और रीढ़ की हड्डी के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है। इसके अभ्यास के लिए सबसे पहले घुटने मोड़कर बैठें। अब शरीर के ऊपरी भाग को जंघाओं पर टिकाएं और सिर को जमीन से लगाएं। इसके बाद अपने हाथों को सिर से लगाकर आगे की ओर सीधा रखें और हथेलियों को जमीन से लगाएं। अब अपने हिप्स को ऐड़ियों की ओर ले जाते हुए सांस छोड़े। इस अवस्था में 15 सेकेण्ड से 2 मिनट तक रहें। उसके बाद सामान्य स्थिति में लौट आएं।
मत्स्यासन
मत्स्यासन पीठ के उपरी हिस्से की पेशियों को आराम देता है और रीढ़ को लचीला बनाता है, जिससे कमर और गर्दन के दर्द से राहत मिलती है। लेकिन गर्दन दर्द से राहत पाने के लिए गर्दन के नीचे तकिया रखकर इसका अभ्यास करें। इसके अभ्यास के लिए सबसे पहले पीठ के बल लेट जाएं। अब अपनी कुहनियों के सहारे सिर तथा धड़ के भाग को जमीन पर रखें। इस स्थिति में पीठ का ऊपरी हिस्सा तथा गर्दन जमीन से ऊपर उठ जाते हैं। हाथों को सीधा कर पेट पर रख लें। इस स्थिति में जितनी देर आसानी से रुक सकते हैं रुकें। उसके बाद वापस पूर्व स्थिति में आ जाएं।
भ्रामरी प्राणायाम
पद्मासन, सिद्धासन, सुखासन में या कुर्सी पर रीढ़ व सिर को सीधा कर बैठ जाएं। दोनों हाथों को जमीन से ऊपर उठाकर अंगूठे या किसी अन्य अंगुली से कान को बंद कर लें। एक गहरी श्वास अंदर लेकर नाक या गले से भौंरे के गुंजार जैसी आवाज तब तक निकालें, जब तक पूरी श्वास बाहर न निकल जाए। यह भ्रामरी की एक आवृत्ति है। इसकी 15 से 20 आवृत्ति का अभ्यास कीजिए।
मकरासन
अगर मकरासन का अभ्यास सही तरीके से रोजाना किया जाए तो इससे गर्दन दर्द से राहत मिलती है। यहां तक कि इस आसन को करने से साइटिका और स्लिप डिस्क की समस्या भी दूर हो जाती है। इसका अभ्यास करने के लिए सबसे पहले पेट के बल लेट जाइए। अब कुहनियों के सहारे सिर और कंधों को उठाएं और हथेलियों पर ठुड्डी को टिका दीजिए। ध्यान रहे आपका चेहरा सामने रहना चाहिए। इसके बाद आंखों को बंद करके पूरे शरीर को ढीला छोड़ दीजिए। आसन के इस अवस्था में श्वास लेने की प्रक्रिया बिलकुल सहज और सामान्य होनी चाहिए।
धनुरासन
इसमें शरीर की आकृति सामान्य तौर पर खिंचे हुए धनुष के समान हो जाती है, इसीलिए इसको धनुरासन कहते हैं। धनुरासन करने से गर्दन से लेकर पीठ और कमर के निचले हिस्से तक के सारे शरीर के स्नायुओं को व्यायाम मिलता है। इसलिए गर्दन में दर्द होने पर धनुरासन का अभ्यास करने की सलाह दी जाती है। धनुरासन करने के लिए सबसे पहले पेट के बल जमीन पर लेट जाएं। इसके बाद दोनों घुटनों को मोड़कर पैरों को पीछे की ओर उठाते हुए हल्का सा झुकाएं और धनुषाकार बनाते हुए अपनी एड़ियों को हाथों से पकड़ें। अब पैरों को थोड़ा और ऊपर उठाएं और और सांस लेते हुए हाथ से अपनी एड़ियों को खींचने की कोशिश करें। एड़ियों को खींचते समय पेट के वजन का संतुलन बनाए रखें और सिर को बिल्कुल सीधे रखें। इस धनुषाकार पोज को करते समय सांस लेने और छोड़ने पर अधिक ध्यान दें। सांस लेने के एक से बीस सेकेंड बाद इसे हल्के से छोड़ें और फिर आराम की मुद्रा में फर्श पर लेटे रहें।
भुजंगासन
यह आसन रीढ की हड्डियों को लचीला बनाता है, जिससे पीठ के साथ-साथ गर्दन के दर्द में भी आराम मिलता है। उल्टे होकर पेट के बल लेट जाए। ऐड़ी-पंजे मिले हुए रखें। ठोड़ी फर्श पर रखी हुई। कोहनियां कमर से सटी हुई और हथेलियां ऊपर की ओर। इसे मकरासन की स्थिति कहते हैं। धीरे-धीरे हाथ को कोहनियों से मोड़ते हुए आगे लाएं और हथेलियों को बाजूओं के नीचे रख दें। ठोड़ी को गरदन में दबाते हुए माथा भूमि पर रखे। पुनः नाक को हल्का-सा भूमि पर स्पर्श करते हुए सिर को आकाश की ओर उठाएं। फिर हथेलियों के बल पर छाती और सिर को जितना पीछे ले जा सकते हैं ले जाएं किंतु नाभि भूमि से लगी रहे। 30 सेकंड तक यह स्थिति रखें। बाद में श्वास छोड़ते हुए धीरे-धीरे सिर को नीचे लाकर माथा भूमि पर रखें। छाती भी भूमि पर रखें। पुनः ठोड़ी को भूमि पर रखें और हाथों को पीछे ले जाकर ढीला छोड़ दें।
गरुणासन
अगर आप कंधे और गर्दन के दर्द की असहनीय पीड़ा से परेशान है तो गरूणासन का अभ्यास अवश्य करना चाहिए। सबसे पहले सावधान मुद्रा में खड़े हो जाएं। फिर बाएं पैर को ऊपर उठाते हुए दाहिने पैर में लपेटकर इस तरह भूमि पर रखें कि बाएं घुटने पर दाहिने घुटने का निचला भाग टिका रहे। अब दोनों हाथों को सिर के ऊपर उठाते हुए कोहिनों को क्रास कर लपेट लें और दोनों हथेलियों को मिलाकर चेहरे के सामने नमस्कार मुद्रा बना लें। सांसों को सामान्य रखते हुए कुछ देर इसी अवस्था में रहें। कुछ देर बाद श्वास छोड़ते हुए हाथों को उपर ले जाएं, पैरों के बंधन को खोल कर दें और फिर ताड़ासन करते हुए पुनः सावधान की मुद्रा में खड़े हो जाए। इसी क्रिया को एक ओर से करने के पश्चात दूसरी ओर से करें। अर्थात पहले बाएं पैर को ऊपर उठाकर किया था अब दाहिने पैर को उठाकर करें।
त्रिकोणासन
इस आसन का अभ्यास करने के लिए मुंह सीधा करके खड़े हों। सावधान की मुद्रा में खड़े होकर अपने पैरों को जितना हो सके फैलाएं। पीठ को सीधा रखकर दोनों बाजुओं को बगल में फैला कर रखें। अब हल्के से सांस अन्दर खींचें और अपने दाहिनी ओर झुक जाएँ। याद रखें कि दाहिना हाथ घुटनों को छू रहा हो। इसी मुद्रा में रहते हुए अपने बाएँ हाथ की तरफ देखते रहें। इस तरह कुछ देर तक इस प्रक्रिया को दोहराते रहें। इसके निरंतर प्रयोग से आपके शरीर को प्राकृतिक विटामिन डी प्रचुरता से मिलती है जो गर्दन की मांशपेशियों के दर्द में लाभदायक होती है।
विपरीत करणी आसन
इस आसन को करने के लिए पीठ के बल लेट जाएँ और दोनों पैरों को किसी दीवार के सहारे ऊपर की तरफ उठा लें। अपनी दोनों बाजुओं को फैलाकर शरीर जमीन पर टिकाएं। अपनी हथेलियों को ऊपर की तरफ मोड़ कर खुला छोड़ दें। धीरे- धीरे सांस लें और बाहर छोड़ें. इस योग के माध्यम से आपकी शरीर को मसाज मिलता है। इससे गर्दन सहित अन्य जोड़ों के दर्द धीरे-धीरे दूर होने लगते हैं।