"ग़ज़ल"
सादर शुभदिवस आदरणीय मित्रों, एक ग़ज़ल आप सभी को सादर निवेदित है, आभार"ग़ज़ल"चलो आज फिर से, लिख लेते पढ़केकिताबों के पन्नों में, खो जाते मिलकेकई बार लिख लिख, मिटाई इबारतअब न लिखेंगे जो, मिट जाए लिखके ।।बचपन की पटरी, न पढ़ती जवानीबहुत नाज रखती, नशा नक्श दिलके ।।कहरहा तजुरबा, वक्त की नजाकतमिलती न शोहरत, न मि