कुछ दोहे..........
छद्म रूप तेरा दिखा, कैसा रे इंसान
बस
रौदा रौदी सड़क, खेतों
में शैतान॥- 1
माँ बेटी के रूप को, जबह किया हैवान
आती
घिन है देखकर, धरती
लहू लुहान॥- 2
गिरेगी कत मानवता, के होगी पहचान
न
पायी लंका ऐसी, जब
गए बीर हनुमान॥- 3
सेना कैसे पल रही, किसका कहाँ मकान
जरजमीन
जोरू विकल, चहरों
पर मुस्कान॥- 4
हर घर की बेटी बहन, भाई बाप जहान
पूछते
आसमान से, तड़के
साँझ विहान॥- 5
महातम मिश्र, गौतम
गोरखपुरी