सादर शुभप्रभात अग्रज-अनुज स्नेही मित्रों,
सादर प्रणाम/आशीर्वाद......
प्रकाश के प्रकाशित पावन पर्व दीपावली पर हमारे पुरे परिवार के तरफ से आप को एवं आप सभी के पुरे परिवार को हृदयतल से बधाई, मंगल शुभकामना और हार्दिक प्यार स्वीकार करें......
इस पुनीत पर्व पर माँ लक्ष्मी, माँ दुर्गा, माँ सरस्वती सहित त्रिदेव हम सबको स्वस्थ, संपन्न व सुखी रखें व हमारी सकारात्मक ऊर्जा में वृद्धि करें......
आज एक नयी रचना जो अभी अभी मन में स्फुरित हुई आप को सादर प्रस्तुत कर रहा हूँ जिसपर आप की अभिव्यक्ति हमारे लिए प्रेरणास्रोत होगी, कृपया आशीष प्रदान करें......
" पावन दीपावली"
भ्राता भारत की अनेकता में अक्षुण एकता गर्व है
आओ मित्रों साथ मनाऐं दीपावली पावन पर्व है
ऋषियों ने सन्देश दिया है अंधकार में मत रहना
मन उज्जवल हो घर के जैसा संतोष धर्म ही सर्व है ।।
देश महान रहा है साथी संस्कार संस्कृति सहित
निर्मल भाव रहा पुरुखों का मिला उन्ही से मर्म है ।।
उनके ही पदचिन्हों पर चल राह हमारी संवर गयी
सम्बल सौभाग्य मिला हमको चलने में कैसा शर्म है ।।
आज तलाश रही ऑंखें न जाने क्यों किसकी राहें
तंग गली विचारों की हर हृदय की ज्वाला गर्म है ।।
युद्ध हुए हैं बड़े बड़ें जहाँ आन बान और शान लड़ा
शिवा राणा लक्ष्मीबाई भी खूब लड़े जहाँ पर धर्म है ।।
दाल गली न कायरों की सम्मान किसी ने जीता क्या
विजय हुयी है भारत की छल की सेना हुयी गर्क है ।।
नैतिक राह निति की भाषा भारत की धरती महके
मिलकर खाएं सुखी रोटी न कथनी करनी में फर्क है ।।
कुछ नकारात्मक भावों से यह गरिमा न धूमिल हो
मन के शंसय मिल दूर करें सर्व कुशल हमारा धर्म है ।।
रावण रूपी अंधकार इस धरा पर आकर दफ़न हुआ
दीपक भी कतार में जलते हर मन प्रकाश का पर्व है ।।
ढोल नगारे ठुमक रहे सर्वधर्म की आतिशबाजी आज
मिलकर गले झूमता भारत हर दीपक गर्वित गर्व है ।।
महातम मिश्र