13 जुलाई 2015
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मै महातम मिश्रा, गोरखपुर का रहने वाला हूँ, हाल अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ |D
समय ही समय है श्री विजय कुमार शर्मा जी, हा हा हा हा हा.....दिखाव से परहेज है समय तो सरक ही रहा है हाथ से, सहमत हूँ आप से मान्यवर, कुरीतियों पर नजर होनी चाहिए......
14 जुलाई 2015
सदर धन्यवाद श्री मंजीत सिंह जी, आप को यह रचना सबसे बढियां लगी मुझे खुशी मिली.......
14 जुलाई 2015
सादर धन्यवाद शब्द नगरी संगठन महोदय श्री मिश्र जी, आप ने इस रचना के सन्देश को स्वीकारा मन खुश हों गया......
14 जुलाई 2015
जब सकारात्मक और सार्थक परिवर्तन होते हैं, सभी लाभान्वित होते हैं लेकिन जब-जब समाज बिना सोचे-समझे परिवर्तनों की ओर उन्मुख होता है, तब वह पूरे समाज को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है। सार्थक रचना ! धन्यवाद !
14 जुलाई 2015
शायद अब तक की आपकी सबसे बढ़िया रचनाओ में से एक है ... बहुत ही खूब ... बहुत सोच विचार के लिखा है ..
13 जुलाई 2015
समय बदला और रिवाज बदला मेहमानों के पास समय कहां है आशियाने में रुकने को- बहुत खूब मिश्रा जी
13 जुलाई 2015