8 जुलाई 2015
62 फ़ॉलोअर्स
मै महातम मिश्रा, गोरखपुर का रहने वाला हूँ, हाल अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ |D
सादर धन्यवाद श्री विजय कुमार शर्मा जी.........
9 जुलाई 2015
हास्य रस से भरपूर सुंदर रचना
8 जुलाई 2015
सादर धन्यवाद श्री मंजीत सिंह जी, आप ने रचना को सराहा और आप को हास्य मिला, मेरी लेखनी धन्य हुयी मान्यवर, व्यंग की विधा ही ऐसी है पर अपनत्व की चिंता ही जीवन है मान्यवर ......
8 जुलाई 2015
सादर धन्यवाद संगठन महोदय श्री मिश्र जी, बिलकुल सही कहा आप ने हास्य और व्यंग काठी विधा है पर आप ने इसे सराहा, मेरी लेखनी को बल मिला मान्यवर, अपना स्नेह बनाये रखें
8 जुलाई 2015
सुन्दर रचना...हास्य रचना आसान नहीं होती...लेखक को दिशा-दिशा दिमाग़ दौड़ाना पड़ता है फिर भी लोग कितना पसंद करेंगे, ये अनिश्चित रहता है ! लेख प्रकाशन हेतु बधाई !
8 जुलाई 2015
अच्छी लगी और हसी भी आई .... एक बात अच्छी है की मालिक को काम से काम स्ये चिंता है की कही किसी कसाई के हाथ न लग जाए .... मतलब चाहे जैसी हो लेकिन उसे अपने इस पशु से प्रेम भी है ... बढ़िया
8 जुलाई 2015