शीर्षक मुक्तक, शीर्षक-नभ / गगन/ अम्बर/आकाश आदि पर सादर निवेदित है एक दोहा मुक्तक........
“दोहा मुक्तक”
आँसू सूखे नभ गगन, धरती है बेचैन
कब ले आएगा पवन, मेरी रातें चैन
खिलूंगी मैं पोर पोर, डाली मेरे बौर
छम-छम गाऊँगी सखी, लहरी कोयल बैन॥
महातम मिश्र (गौतम)