29 मई 2015
कमियों की ओर ध्यान आकृष्ट कराने हेतु आपका हृदय से आभार.... मैंने विवेकानुसार परिवर्तन भी कर दिए हैं ।
29 मई 2015
राघुवेंद्र जी, ये थोड़े से सुधार कर दीजिए तो आपकी यह रचना कितने ही लोगों तक पंहुचेगी तथा सराही जाएगी...शब्दनगरी से जुड़े कितने ही मंच इसे पसंद करेंगे। धन्यवाद !
28 मई 2015
राघवेन्द्र जी, वीर रस में निबद्ध यह रचना निश्चित ही सुंदर है....आपसे एक अनुरोध है कि यदि आप 'कुत्तो' आदि शब्दों के विकल्पों का प्रयोग करते तो लेखन की श्रेष्ठता और बढ़ जाती...अग्रिम रचनाओं में थोड़ा विचार करिएगा...धन्यवाद !
28 मई 2015