वतन पड़ा है गिरवीं देखो
पश्चिम वाले हाथों में ।
भारत के नीति नियंता लेकिन
भरमाते हैं बातों में ।
देशप्रेम का मतलब अब
निबट सियासी फंदा है ।
राजनीति की खाई में गिर
देश हो गया अंधा है ।
अपने घर में ही हम सब
बन गए आज गुलाम ।
व्यर्थ गया बलिदान शहीदों
व्यर्थ गया बलिदान ।
सबको अपनी–अपनी चिन्ता
किसे देश का ध्यान ।
व्यर्थ गया बलिदान
शहीदों व्यर्थ गया बलिदान ।
(रचना तिथि 25/06/2016)