15 अगस्त 2015
धन्यवाद शर्मा जी..
22 अगस्त 2015
राघवेन्द्र जी, मुट्ठी भर लोग हैं जिनके कारण कितनी ही रंगत धूमिल सी लगती है, जिनके कारण असंख्य राष्ट्रसमर्पित कर्मठ व्यक्तित्वों के कार्यों को भी उचित स्थान नहीं मिल पाता है I देश का नौजवान कमर कस चुका है, स्याह बादल छंटने चाहिए, हर हाल में ये सूरत बदलनी चाहिए !
21 अगस्त 2015