11 जुलाई 2015
धन्यवाद अर्चना जी और ओमप्रकाश शर्मा जी...
3 सितम्बर 2015
सटीक एवं सार्थक !
2 सितम्बर 2015
ग़रीब कब पैदा होता है औए कब जवान हो जाता है दो वक़्त की रोटी के लिए क़ुर्बान हो जाता है । किसी को जवानी में ही ये ग़रीबी बना डालती है वृद्ध इस दुनियां और उस दुनियां में कितना है फर्क़ ।
2 सितम्बर 2015
धन्यवाद भाई मंजीत जी...
13 जुलाई 2015
हम सब को भगवान ने बहुत कुछ दिया, इस कविता को पढ़ के लगा की हम वाकई बहुत ही खुश किस्मत है ... ऊपर वाले का शुक्रिया ...
13 जुलाई 2015
धन्यवाद शर्मा जी...
12 जुलाई 2015
दो-दो दुनिया बस्ती हैं भारत में एक दुखों भरी और दूसरी सुखों भरी बहुत अच्छी रचना
11 जुलाई 2015