बहुएं भी किसी की बेटी हैं
दहेज के नाम पर,जो बहुओं को जलाते हैं ।किसी की लाड़ली को ब्याहकर,क़हर पर क़हर ढाते हैं ।किसने दिया है हक़ इन्हें,किसी को भी जलाने का ।ख़ुदा की क़ायनात के,हँसते हुए फूल कुचल जाने का ।कितने बड़े वहशी हैं,ये आदमख़ोर हैं ।ख़ुदा की इस रियाया में,ये नर पिशाच हैं ।दोज़क बना डाला जहाँ,अब ये भी कर डालिए ।बहुए