प्रियतम
की याद
पीर तुम्हारे हृदय की प्रियतम
नयन नीर बन फूट रही है ।
दुःख का सागर धैर्य खो रहा
व्यथा की सरिता उमड़ रही है ।
पीर तुम्हारे हृदय की प्रियतम
नयन नीर बन फूट रही है ।
अक्स तुम्हारा मुझ में बसता
और हमारी साँसें तुझ में ।
आह तुम्हारी मेरे प्रियतम
बन शूल हृदय को छेद रही है ।
पीर तुम्हारे हृदय की प्रियतम
नयन नीर बन फूट रही है ।
मैं हूँ नयन प्राणपति तेरे
तुम हो इन नयनों की ज्योति ।
हैं निर्मूल्य नज़ारे सारे
नज़र–नज़र को बींध रही है ।
पीर तुम्हारे हृदय की प्रियतम
नयन नीर बन फूट रही है ।
चाह तुम्हारी बन कर सपना
चैन न पाने देती है ।
मन में प्रिये तुम्हारी मूरति
पल-पल चम-चम चमक रही है ।
पीर तुम्हारे हृदय की प्रियतम
नयन नीर बन फूट रही है ।
मैं चातक तुम स्वाति बूंद
चाह तुम्हारी हर क्षण हमको ।
देख-देख बादल कजरारे
मेरे मन की कलिका महक रही है ।
पीर तुम्हारे हृदय की प्रियतम
नयन नीर बन फूट रही है ।