14 जनवरी 2016
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पर्यटन-प्रशासन एवं प्रबंधन में यूजीसी-नेट उत्तीर्ण, एम.बी.ए. इन टूरिज्म-मैनेजमेंट(सीएसजेएम-कानपुर विश्वविद्यालय), मास्टर्स इन मास-कम्युनिकेशन(लखनऊ विश्वविद्यालय), दैनिक जागरण-यात्रा विभाग में बतौर लेखक (१ जून २००८ से १७ सितम्बर २०१५ तक ) ७ वर्ष, ३ माह एवं १७ दिन का कार्य-अनुभव, नई दिल्ली के प्रकाशकों द्वारा कुछ पुस्तकों का प्रकाशन जैसे - मैनेजिंग एंड सेल्स प्रमोशन इन टूरिज्म (अंग्रेज़ी), शक्तिपीठ (हिंदी) और फिल्म-पटकथा लेखन पर आधारित मौलिक गीतों युक्त हिंदी में लिखी पुस्तक- “देवी विमला”...एक साधारण भारतीय महिला की असाधारण कहानी, प्रख्यात गीतकार श्री प्रसून जोशी द्वारा एक प्रतियोगिता में चयनित सर्वश्रेष्ठ गीतों में से एक गीत शामिल, जागरण जोश के कवर पेज पर आल-एडिशन फोटो...D
<p>मेरा मानना इस सर्वेक्षण के विपरीत है . आज कंपनिया डिग्री मिलने से पहले ही केम्पस सिलेक्सन करके नौकरी दे रही है और वह योग्यता को ही ज्यादा महत्त्व दे रही है . आज का वह युवा जो मेहनत करने के विपरीत सॉर्ट कट के रस्ते सफलता पाना चाहता है वह ही ऐसे आरोप लगाता है . किसी भी कक्षा में छात्र परीक्षा में पास होने के लिए मात्र पढ़ रहा है और मात्र २० --२० कोसचन पढ़के या नक़ल करके पास होना चाहता है . </p><p> योग्यता का आज भी कोई विकल्प नहीं हैं .</p>
21 जनवरी 2016
नौकरी प्रतिभा और जुगाड़ दोनों से मिलती है ! अनुपात ५५:४५ का हो सकता है !परन्तु यह मानना की केवल जुगाड़ से ही सभी नौकरी मिलती है यह सरासर गलत है !
19 जनवरी 2016
चंद्रेश जी भारत वर्ष में आज नौकरी सिर्फ सिफारिश से ही मिल रही है | वह दिन गए जब लोगो को नौकरियां उनके प्रतिभा के आधार पर प्राप्त होती थी आज के इस वर्तमान युग में यदि किसी को नौकरी चाहिए तो उस व्यक्ति के पास किसी प्रतिष्ठित व्यक्ति से पहचान होना आवश्यक हो गया है या फिर आपको चापलूसी आनी चाहिए तभी कुछ संभव है |
17 जनवरी 2016
अनुपात ५० ५० है
14 जनवरी 2016
<p>जूगगाल शे मिलते है </p><p><br></p><br><br><br><br>
14 जनवरी 2016