स्मार्ट सिटीज की परिकल्पना दुरुस्त है लेकिन क्या आपको नहीं लगता कि इससे स्मार्ट शहरों की ओर और तेजी से गांवों से भयंकर पलायन होगा और
इससे शहरों और गांवों के बीच की खाई क्या और गहरी नहीं होगी ???
30 जनवरी 2016
स्मार्ट सिटीज की परिकल्पना दुरुस्त है लेकिन क्या आपको नहीं लगता कि इससे स्मार्ट शहरों की ओर और तेजी से गांवों से भयंकर पलायन होगा और
इससे शहरों और गांवों के बीच की खाई क्या और गहरी नहीं होगी ???
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पर्यटन-प्रशासन एवं प्रबंधन में यूजीसी-नेट उत्तीर्ण, एम.बी.ए. इन टूरिज्म-मैनेजमेंट(सीएसजेएम-कानपुर विश्वविद्यालय), मास्टर्स इन मास-कम्युनिकेशन(लखनऊ विश्वविद्यालय), दैनिक जागरण-यात्रा विभाग में बतौर लेखक (१ जून २००८ से १७ सितम्बर २०१५ तक ) ७ वर्ष, ३ माह एवं १७ दिन का कार्य-अनुभव, नई दिल्ली के प्रकाशकों द्वारा कुछ पुस्तकों का प्रकाशन जैसे - मैनेजिंग एंड सेल्स प्रमोशन इन टूरिज्म (अंग्रेज़ी), शक्तिपीठ (हिंदी) और फिल्म-पटकथा लेखन पर आधारित मौलिक गीतों युक्त हिंदी में लिखी पुस्तक- “देवी विमला”...एक साधारण भारतीय महिला की असाधारण कहानी, प्रख्यात गीतकार श्री प्रसून जोशी द्वारा एक प्रतियोगिता में चयनित सर्वश्रेष्ठ गीतों में से एक गीत शामिल, जागरण जोश के कवर पेज पर आल-एडिशन फोटो...D
चंद्रेश जी आप सही कह रहे हैं । गांव की उपेक्षा , रोजगार एवं अन्य साधनो के अभाव ने गांव को शहर के करीब ला खड़ा किया , और अब तो मंजर शायद ऐसा हो जब गांव का स्टीटिव सिर्फ किताबों या फिल्मों में ही सिमट कर रह जाए ।
31 जनवरी 2016