क्या आज के तेज़ तर्रार युग में भी गांधी जी के आदर्श उतने ही प्रासंगिक रह गए हैं ??? आपके अनुसार राष्ट्रपिता के नाम पर एक के बाद एक घोषणाओं एवं उनके आदर्शों की दुहाई देने वाली सभी सरकारों के प्रयास क्या महज दिखावा बन कर रह गए हैं या वाकई बापू के सपनों के भारत का निर्माण हो रहा है ???