दलितों के मसीहा कांशीराम निश्चय ही भारत के गौरव हैं और उन्हें भारत रत्न मिलना ही चाहिए| लेकिन सवाल यह है कि इस पर इतनी सियासत क्यों हो रही है ? सवाल यह है कि उन्हें यह सम्मान समय रहते ही क्यों नहीं प्रदान किया गया ? आपके अनुसार क्या दलित समाज को हमेशा वोट बैंक के चश्मे से देखे जाने की हर राजनीतिक दल की मंशा ही इस सियासत का कारण है ?