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दैनिकजीवन

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प्रिय सखी।कैसी हो । आज मन उदास है । हमारी तुम्हारी ये जो वार्तालाप लेखन है उसको शब्द टीम इनाम देकर नवाजती है ।जिसकी पाठक संख्या ज्यादा होगी उसको विजेता घोषित करती है।अब की बार भी हमारी पाठक संख्या ज्य

दैनन्दिनी प्रतियोगिता के सभी नियमों और तय मानकों के अनुसार अप्रैल माह की सर्वाधिक पाठक वाली  टॉप 5 में से टॉप 2 दैनन्दिनी इस प्रकार हैं |  01- दैनंदिनी अप्रेल २०२२ | Diwa Shanker Saraswat (shabd.in)

जानिए #लोटा और #गिलास के पानी में अंतर.........#भारत में हजारों साल की पानी पीने की जो सभ्यता है वो गिलास नही है, ये गिलास जो है #विदेशी है. गिलास भारत का नही है. गिलास #यूरोप से आया. और यूर

हैलो सखी ।  कैसी हो।पता नही आजकल क्या हो गया है कुछ लिखने बैठती हूं तो निंदिया रानी आकर आंखों पर कब्जा कर लेती है ।और काफी सारे मंचों पर बहुत सी स्पर्धाओं में भाग ले रखा है एक जगह सहलेखन भी चल रह

#नाभि कुदरत की एक अद्भुत देन है --एक 62 वर्ष के बुजुर्ग को अचानक बांई आँख से कम दिखना शुरू हो गया। खासकर रात को नजर न के बराबर होने लगी।जाँच करने से यह निष्कर्ष निकला कि उनकी आँखे ठीक है परंतु बांई आँ

भारत में जस्ते अर्थात जिंक का उत्पादन औद्योगिक स्तर पर होता था। भारत से जस्ता पूरी दुनिया में एक्सपोर्ट किया जाता था 18 वीं शताब्दी में अंग्रेजों ने भारत के इसी तकनीक को चोरी करके अपने यहां इसका पेटें

बहुत सुंदर प्रयास एक बार ध्यान से पढ़िएगा,किसने लिखा ज्ञात नहीं पर मुझे यह अभिनव प्रयोग अनुकरणीय लगा,कभी हिन्दी वर्णमाला का क्रमबद्ध इतना सुन्दर प्रयोग आप की अद्भुत अद्वितीय अविस्मरणीय कह उठेंगे...&nb

*उनके लिए --*जिन लोगों को लगता है कि द कश्मीर फाइल में सच को बढ़ा चढ़ा कर दिखाया जा रहा है तो उन्हें इतिहास से जानना चाहिए कि -  • *पृथ्वीराज चौहान*..... अंधा करके मारा गया• *गुरु अर्जुनदेव जी

🌿दिनांक  :-02/05/22🌿 🌺सुनो ना दैनन्दिनी ,                          

"प्यार का बुखार"  प्यार एक ऐसा बीमारी होता है जो कि अगर इंसान हो एक बार पकड़ ले तो वो जिंदगी भर तड़पता रहता है और इस बीमारी का इलाज भी नहीं है इस दुनिया में ।।लेकिन ये भगवान ने जो लड़की नामक

हैलो सखी।लो मै फिर आ गयी।आज तो मेरी तुम से मुलाकात शाम को हो रही है ।अब पूछोगी नही कि शाम को क्यों तुम तो सुबह मिलने आती थी। मै बता देती हूं आज काफी समय बाद देहली जाना हुआ वो भी मैट्रो मे ।सच मे अपनी

🌿दिनांक :- 01/05/22🌿      🌺सुनो ना दैनन्दिनी,                                  सबकी बातें बड़े चा

चाँदनी रात में बैठा हूँ उसकी याद में,वो कब आएगी मुझसे बतियाएगी,उसकी प्यारी-प्यारी बातें लोरी सी लगती हैं,उसकी कजरारी आँखें झील सी दिखती हैं,मैं उन झील सी कजरारी ऑंखों में डूब जाता हूँ।उसका हल्का सा स्

ये दृढ़ विश्वास हमारा,भारत नहीं किसी से हारा,इस अदृश्य शत्रु को मारेंगे,जीतेंगे, जिताएंगे,कोरोना मार भगाएंगे।दो-गज दूरी, बहुत जरूरी,मास्क जरूर लगाएंगे,जीतेंगे, जिताएंगे,कोरोना मार भगाएंगे।नियमों का पा

मैं आँखों के डॉक्टर के पास गया,आँख दिखाई,डॉक्टर बोला,इसमें तो गड़बड़ है भाई,मैंने कहा फिर क्या होगा,डॉक्टर बोला ऑपरेशन होगा भाई,मैंने कहा ऑपेरशन कर दो,उसने ऑपेरशन कर दिया,फिर दे दी दवाई,बोला ये खाना,ये

ऐ! चाँद ,ऐ! चाँद , आऊँगा तेरे पास एक दिन, पूछूँगा तेरा धर्म,  हिन्दू है या इस्लाम, क्योंकि चौथ पर पूजते हैं तुझे हिन्दू, और ईद पर मुसलमान। क्यों नहीं देता संदेश, अपने इन बंदों को, कि मैं न हिन्द

हैलो सखी ।  कैसी हो।हम तो यहां गर्मी मे उबल रहे है।जरा मुझे बताएं जो जो मेरी सखी और मेरा वार्तालाप पढ़ रहे है वो बताएं कि उनके शहर मे मौसम कैसा है।हमारे यहां तो तेज लू चल रही है। हां खरबूजे तरबूज

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