21/9/2022प्रिय डायरी, आज का शीर्षक है जैविक खेती,संपूर्ण विश्व में बढ़ती हुई जनसंख्या एक गंभीर समस्या है, बढ़ती हुई जनसंख्या के साथ भोजन की आपूर्ति
जैविक खेती।।मानव सभ्यता के विकास में सर्वप्रथम क्रांति खेती की खोज थी । तकरीबन दस हज़ार वर्ष पूर्व इसे नवपाषाण क्रांति के रूप में भी जाना जाता है । खेती यानी मनुष्य के मनुष्यता की गाथा । खेती यानी जानव
भारत एक कृषि प्रधान देश है | जिसकी 75% जनसंख्या कृषि पर निर्भर है | जिस प्रकार देश दुनिया बदली तकनीकी ने विकास का जीर्णोद्धार किया | ठीक उसी प्रकार खेती को भी अत्याधुनिक तकनीकी से ग्रस्त कर दिया
जैविक खेती है ऐसी जैसे किसी नवजात बच्चे को मां का स्पर्श,जब केमिकल फ्रि लगते है फल पौधे तभी तो मन में होता हर्ष।।
रहते थी मेरी मासी जहां पर वो हवेली ना होकर था भूतिया घर, जहां जाने से भी हम बच्चों को लगाता था ना जाने क्यूं ही डर।।
जीवन का क्या लक्ष्य है, यह सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न है। मनुष्य शरीर की जीवन यात्रा माता के गर्भ से प्रारम्भ होती है और दुनियां में आंखे खोलने के पश्चात पढ़ाई-लिखाई, नौकरी-व्यापार, घर-गृहस्थी, धन-दौलत के
🐜बरसात का मौसम था, एक नन्ही ही चींटी न जाने कहां से जमीन पर चलती दिखी। इधर-उधर अकेली दौड़ती न जाने क्या ढूंढ रही थी। षायद अन्य चीटिंयों की उस पंक्ति से बिछड़ गई थी। जो सीधे कतारबद्ध अपने पूरे साजो-सा
मनुष्य की ताकत हीन हुई, बीमारी बढ़ने लगी।भूल गए वह वक्त मनुज,जब होती थी जैविक खेती।।मेहनत के बलबूते पर,किसान अन्न उपजाता था।खून-पसीना एक करके, शुद्ध अन्न उपजाता था।।कंपोस्ट खाद डालकर के,खेत उपजाऊ बनात
एक नारी ने किया आधुनिक द्युशासन बनकर नारी का चिर हरण,देखा हमने मर्द को छोड़ो नारी को ही नारी की गरिमा को कुचल।।
डियर दिलरुबा दिनांक-20/9/22 दिन-मंगलवार 📚📚कैसी हो माय डियर दिलरुबा,,,, बारिश का तो आज भी वही हाल है लेकिन कुल मिलाकर मौसम बड़ा लाजवाब हो रहा है,,,,, वैसे भी देहरादून के मौसम से हमें कभी कोई शिकायत
मुखौटा बनी है इस जगत की पहचान,जो नहीं जाने पहनना वो कितने नादान।
मनुष्य की जिंदगी में नारी का बहुत ही बडा योगदान है। नारी के बिना इस दुनिया में गृहस्थी रूपी गाड़ी नहीं चल सकती है।"नर और नारी गृहस्थी रूपी गाड़ी के दो पहिए हैं जिनमें से एक अलग हो जाते तो गृहस्थी की ग
अंधविश्वास का मतलब है किसी चीज पर बिना सोचे, समझे विश्वास करना। डर, मृत्यु का भय, परीक्षा में उत्तीर्ण होने का भय, नौकरी ना मिलने का भय, इत्यादि ऐसे और भी बहुत से उदाहरण है, जिनके डर के कारण हम
नारीवाद यह धारणा है कि सभी मानव जाति अपने लिंग की परवाह किए बिना समान हैं। नारीवाद महिलाओं का उत्थान करने का एक रास्ता है ताकि पुरुषों और महिलाओं के साथ समान व्यवहार किया जा सके। यह पुरुषों को नीचा दि
मुखौटा लगाये हुए लोग दुनिया में घूम रहे हैं। मुंह में राम बगल में छुरी को मुकाम दे रहे हैं।। हर वक्त डर लगता है अनजान लोगों से। विश्वास का कत्ल हो गया कुछ सदियों से।। अनजान ही पहचान वाले भी बदल गये है
नारी का शोषण करने को,जो दानव दुनिया में घूम रहे।जो धन के लालची बनकर के,नारी का खून है चूस रहे हैं।।शिक्षा से वंचित रखने की,जो हीन भावना रखते हैं।लड़की की हत्या करने की ओछी मानसिकता रखते हैं।।वे सजा के
सो आज के लिए निर्धारित कक्षा में पहुँचे । यह कक्षा 10 में गणित का कालांश था । अमन जी हिन्दी के अध्यापक थे । बच्चों ने गणित ही पढने की जिद की । और गणित की मोटी सी पुस्तक मेज पर धर दी । अम
अमन जी अपनी बाइक उठाकर गाँव में पहुँचे । लाख प्रयास के बाद भी कोई स्वयं सेवक नहीं मिला । लोग कहते- वाह माटसाब ! खुद तो पढाने के साठ सत्तर हजार लेते हो और हमसे फ्री में गाँववालों को पढवाना चाहते हो ।
कक्षा में बच्चे आपस में लड़ झगड़ रहे थे । अमन जी ने उनको शांत किया और किताब निकालने को कहा । इतने में एक बच्चा बोला, सर वर्कबुक भरवाइए ना । अभी तो उसी का समय है । प्रमोद जी की इच्छा अपने बाल नोच लेन
अमन जी को अभी कक्षा 1 से 8 तक की उपस्थिति इकट्ठी करनी थी । झट डायरी उठाकर दौड़े । आँकड़े इकट्ठे करके भोजन निर्माण शाला में पहुँच कर बताया कि आज कितने आटे की रोटियाँ बनेगी । फिर बाँस की एक सीढी लगाकर