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दैनिक_प्रतियोगिता

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प्यारी डायरी..       सखी, आज नारीवाद की बात कहें, तो इसकी हमारे देश में बहुत आवश्यकता हैं। क्योंकि नारी, जिसे इस संसार में शक्ति का दूसरा रूप समझा जाता हैं, वह सदैव हीं आदरणीय और प

  अब तक आपने देखा          मिस्टर सिकरवार संध्या  से — नहीं मैं वहीं आ रहा हूँ और ये कहकर वो अनुभव को घुरते हुए वहाँ से नीचे चले आये ।अब आगे     

आज भी दैनिक लेखन का विषय अन्धविश्वास है।  सोच रही थी कि इस बारे में क्या लिखूँ तो कुछ वर्ष पूर्व अपने मोहल्ले की एक घटना याद आ गयी। जब  हमारी बिल्डिंग के चौथे माले में एक ऐसा परिवार रहता था। उनके घर म

           अब तक आपने देखा इस समय किसी को होश नहीं था कि , वो कैसे सोये है और उनका हाथ -  पैर कहां है ? ... 😄 अब आगे          &nb

प्रिय सखी ।कैसी हो ।मै अच्छी हूं ।अब की बार पुस्तक लेखन प्रतियोगिता में भाग ना लेने का विचार किया है ।बस मन नही करता ऐसे जीत हासिल करने से ।जब फोन वेरिफिकेशन होने लगेगा और रियल पाठक बढ़ेंगे रचनाओं पर

जीवन एक संघर्ष ही है,कभी हंसना कभी रोना।जीवन अनमोल है भाई,हर पल हर क्षण जीना।।जीवन एक संघर्ष ही है,कभी दुःख कभी सुख।संघर्षरत इस अभियान में,नित नए आयाम गुजरने में।।जीवन एक संघर्ष ही है,परिजनों के साथ स

महाराणा प्रताप की जीवनी :- नाम : महाराणा प्रताप जन्म : 9 मे, 1540 कुम्भलगढ़ दुर्ग पिता : राणा उदय सिंह माता : महाराणी जयवंता कँवर घोड़ा : चेतक महाराणा प्रताप सिंह ( ज्येष्ठ शुक्ल तृतीया रविवार वि

डियर दिलरुबा दिनांक-18/9/22 दिन-रविवार समय-8:15                        📚अरे कैसी हो दिलरुबा, यह इतने सारे ताबीज हाथ पर क्यों बांध रखे हैं,,?? अरे क्या बताऊं मेरी दोस्त कल मैं बर्थडे में गई थी वहा

मैंने देखा है युवाओं को तैयारी करते,स्वर्णिम सपने लिए गाँव से शहर जाते,अपने भविष्य निर्माण के लिए ,अपनों और घर से दूर हो जाते।दिन रात पढ़ते हैं,खूब मेहनत करते हैं,रात रात भर किताबों में सर खपाते हैं,और

अंधविश्वास !!आस्था ने पूछा-सखी ! ये अंधविश्वास क्या है ?भक्ति मुस्कुरा कर बोली-मेरा सर्वस्व है !श्रद्धा कुहुँक कर बोली :-विश्वास का हत्यारा है  !!निश्छल प्यार रोते-रोते बोली-क्रूर

किसी व्यक्ति या प्रचलित धारणा पर आंख मूँदकर बिना सोचे-समझे विश्वास करना अन्धविश्वास है। किन्हीं रुढ़िवादियोँ, विशिष्ट धर्माचार्योँ के उपदेश या किसी राजनैतिक सिद्धांत को बिना अपने विवेक के विश्वास कर स्

भारत में गुरु शिष्य की परंपरा रही है | किंतु आज के समय में  लगभग सभी गुरु बन बैठे है | सबसे पहली बात तो यह है  की गुरु की परिभाषा क्या होगी उसे समझे अर्थात "जो भौतिक सर्व सुख संसाधनों स

मेरी नजर अब तुम पर भी  होगी । अच्छा होगा कि तुम अभी के लिए यहां से चले जाओ वरना धक्के मार के निकालूंगा तुम्हें । सुल्ताना चला तो गया । पर जाते-जाते उसने यह धमकी भी  देते गया ।   &n

     वैसे साहब इसके लिए मौट की सजा कम होगी ।इस जैसे कमीने इंसान के लिए तो उम्र कैद की ही सजा होनी चाहिए । पड़ा रहेगा २० साल तक जेल में  अकेले । वही जेल के सलाखों से इश्क़ फरमायेगा

डियर काव्यांक्षी                    कैसी हो प्यारी 💕 मै अच्छी हूं और मजे में भी आज विषय मिला अंधविश्वास प्यारी इस बारे में जितना बताए कम ही है । ये ऐ

अंधविश्वास अवधारणा एक,मन में यह  जो पनपती है।बड़े बुजुर्ग जो सीखा गए,धारणा मन में बसती है।।अंधविश्वास से ज्ञान कमी,आंख मूंद कर करे विश्वास।करे आस्था से खिलवाड़,न पूरी हो कभी वह आस।।अंधविश्वास से

अन्धविश्वास हमारे समाज और हमारे मे मन मे कुछ इस तरह व्याप्त हो जाता हैं कि हमें विश्वास और अन्धविश्वास मे अंतर नहीं हो पाता हैं। हमारे जीवन और समाज इर्द गिर्द विविध प्रकार की रीति रिवाज़ और परम्पराएं म

18/9/2022प्रिय डायरी,                आज का शीर्षक है अंधविश्वास,अंधविश्वास होता क्या है यही बड़े बुजुर्ग लोगों ने बताया कि जाते समय खाली बाल्टी देखो अच्छा

अंधविश्वास~आंख मूंद कर किया जाने वाला विश्वास ही अंधविश्वास है । तर्क से परे होकर किसी भी व्यवस्था और विचार को  स्वीकारना और उसका अनुकरण करना ही अंधविश्वास है । यहां व्यवस्था और वो विचार किसी भी

पाखंडी बन संत धरा पर,जनता को यहां लूट रहे।अशिक्षित लोगों को यहां पर,अंधविश्वास में लूट रहे हैं।।जो सत्य राह पर चलते थे,उनकी की अस्मत को रहे हैं।भोले-भाले लोगों से मिलकर,जान के खेल खेल रहे हैं।।धन कमान

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