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भूमंडलीकरण के दौर में हिन्दी

18 जून 2016

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     आज भूमंडलीकरण और मुक्त अर्थव्यवस्था का युग है। सूचना प्रौद्योगिकी और तकनीकी क्रान्ति के माध्यम से वर्तमान पूंजीवाद विश्व-बाजार या भूमंडलीय बाजार की अवस्था में पहुंच गया है। तकनीकी क्रान्ति ने पूंजी-निर्माण की गति को तेज किया है। यह पूंजी सम्पूर्ण संसार को एक बड़े बाजार में परिवर्तित कर देती है। अस्सी के दशक में भूमंडलीकरण और उदारीकरण की पदचाप सुनाई देने लगी थी। बहुराष्ट्रीय निगमों का आगमन होने लगा था। इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों, विशेषकर टेलीविजन ने अपनी विराट और निर्णायक उपस्थिति दर्ज की। सेटेलाइट युग में प्रवेश करने के साथ ही भारत भूमंडलीकरण की चपेट में आया और सम्पूर्ण भूमण्डल में तेजी से सूचनाओं का आदान-प्रदान प्रारम्भ हुआ। यहां तक कम्प्यूटर और इंटरनेट ने सूचना-जगत्‌ में घमासान ही मचा दिया। भूमंडलीकरण की इस प्रक्रिया के साथ हिन्दी भाषा का स्वरूप व प्रवृत्ति भी बदली। भूमंडलीकरण को आरम्भ हुए डेढ़ दशक हुआ है, इस काल में हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आशातीत और विस्मयकारी वृद्धि आयी है। सूचना प्रौद्योगिकी ने हिन्दी के प्रचार-प्रसार में उल्लेखनीय भूमिका निभायी है। इसके बिना ग्लोबल हिन्दी की कल्पना ही नहीं की जा सकती। आज हिन्दी का भूमंडलीकरण हो गया है और वह अपनी प्रबल उपस्थिति सिद्ध कर रही है। अंग्रजों ने अंग्रेजी भाषा के माध्यम से पूरे विश्व पर अपना एकछत्र आधिपत्य कायम किया था और हिन्दी को उसके ही देश में खदेड़ कर पददलित कर दिया था। आज वही हिन्दी अंग्रेजी की आंखों में आंखे डाल बड़े-बड़े बहुराष्ट्रीय निगम हिन्दी के चरण-रज प्राप्त कर कह रहे हों कि कई बार इतिहास इतना क्रूर व निर्मम हो ही जाता है। 

     देश व वहां के निवासियों को समझने के लिए भाषा व संस्कृति में रुचि बढ़ती है। भारत चिरकाल से कला, विज्ञान व संस्कृति व अनेक क्षेत्राों में सम्पन्न होने के कारण विदेशियों के लिए आकर्षण का केन्द्र रहा है। विगत पांच दशकों में भारत के प्रति विदेशियों की रुचि में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है और भारतीय भाषाओं व साहित्य में भी उनकी रुचि अत्यधिक बढ़ी है। एक सर्वेक्षण के अनुसार हिन्दी संसार की तीसरी सबसे बड़ी भाषा है। सबसे अधिक बोली व व्यवहार में आने वाली भाषा चीनी है, दूसरे स्थान पर अंग्रेजी और तीसरे स्थान पर हिन्दी है। 

     हिन्दी भारत की प्रधान भाषा है। इसे मातृभाषा के रूप में प्रयोग करने वाले भारतीयों का प्रतिशत 45 है। द्वितीय भाषा व संपर्क भाषा के रूप में हिन्दी का प्रयोग करने वाले भारतीयों की संख्या भी इसमें जोड़ दी जाए तो यह प्रतिशत बहुत बढ़ जाता है। भारत के पूर्व में रहने वाला, पश्चिम में बसे भारतीय से सम्पर्क मात्रा हिन्दी के माध्यम से ही कर सकता है। यह शक्ति, सम्पर्क भाषा कही जाने वाली अंग्रेजी में भी नहीं है। अंग्रेजी देश की जनसंख्या की एक प्रतिशत से भी कम लोगों की मातृभाषा है। विगत डेढ़ दशक में हिन्दी भाषा के भूगोल और स्वरूप में जो परिवर्तन हुए हैं, वह हिन्दी भाषा और भूमंडलीकरण के सशक्त पारस्परिक सम्बन्ध को व्यक्त करता है। 

     आज बहुराष्ट्रीय कम्पनियां भी हिन्दी के महत्व को समझते हुए निज विज्ञापन में हिन्दी का प्रयोग करने लगी हैं, यहां तक नियुक्ति के लिए हिन्दी तथा किसी एक अन्य भारतीय भाषा का ज्ञान अंग्रेजी की तुलना में अत्यावश्यक मानती हैं। आज देश में किसी भी भाषा का साहित्यकार निज रचना को हिन्दी भाषा में प्रकाशित देखना चाहता है, हिन्दी में लिखना चाहता है या निज रचना का अनुवाद हिन्दी भाषा में कराना चाहता है। इसके पार्श्व में हिन्दी प्रेम नहीं, हिन्दी की व्यावहारिक उपयोगिता है। हिन्दी ही उसे देशव्यापी और अधिक पाठक वर्ग दे सकती है।

     हिन्दी बिना किसी संकोच के धड़ल्ले से अंग्रेजी भाषा के शब्दों को आत्मसात्‌ कर रही है। हिन्दी व अंग्रेजी का सम्बन्ध अब सह-अस्तित्व का है। हिन्दी का भविष्य अब संगोष्ठियों, विश्वविद्यालय और अकादमियों में तय नहीं हो रहा है, अपितु अब खुले बाजार में मुक्त स्पर्धा से तय हो रहा है। हिन्दी ने यह सिद्ध कर दिया है कि उपभोक्तावाद, बाजारवाद और उदारीकरण की व्यवस्था के अनुरूप अपने आप को ढालने की उसकी क्षमता विलक्षण है। बहुराष्ट्रीय कम्पनियां अपना माल और उत्पाद तो हिन्दी-क्षेत्र में ही विक्रय कर चाहती है, क्योंकि उसे पता है कि यह उतना बड़ा बाजार है जो यूरोप, अमरीका और फ्रांस को मिलाकर भी नहीं बनता। हिन्दी भाषियों का क्षेत्र 50-60 करोड़ जनता का है। देश की राजनीतिक व सांस्कृतिक गतिविधियों का केन्द्र यही है। भूमंडलीकरण की प्रक्रिया ने हिन्दी भाषा को राजनीतिक और सांस्कृतिक संवाद तक सीमित न करके उसे बाजार की उपभोक्ता संस्कृति की नई भाषा के अनुरूप ढाल दिया। सभी उपभोक्ता वस्तुओं के विज्ञापन में हिन्दी को महत्व दिया जाता है क्योंकि हिन्दी का विज्ञापन अधिक लोगों तक पहुंचता है। स्पष्ट है कि भूमंडलीकृत सूचना तन्त्रों, उपभोक्तावाद, बाजारवाद आदि ने हिन्दी को अन्तरराष्ट्रीय स्वरूप व भूमंडलीय पहचान प्रदान की है। हिन्दी के विकास और संवर्धन में इलेक्ट्रानिक मीडिया, टी वी चैनलों आदि ने महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है। जो कार्य हिन्दी फिल्में छह दशक में भी नहीं कर सकीं वह कार्य टेलीविजन ने एक दशक में कर दिखाया। घरों में, दुकानों पर, ढाबों, चाय की दुकानों पर, पनवाड़ी के खोखे और झुग्गी-झोपडियों में प्रत्येक ओर टेलीविजन विराजमान हो गया। टेलीविजन एक ही समय में एक जैसी सूचना को सार्वजनिक और भूमंडलीय बनाने की क्षमता रखता है और उसने इसी विशेषता के कारण विश्व को भूमंडलीय-ग्राम में बदलकर रख दिया है। भूमंडलीय हिन्दी परिनिष्ठित, परिमार्जित और शुद्ध हिन्दी नहीं है, उसमें बहुत कुछ अंग्रेजी मिली हुई है। एक नई हिन्दी का सृजन हो रहा है। हिन्दी भाषी बाजार की यह स्पर्धात्मकता उसे भूमंडलीय व्यवहार और विचार की भाषा बना रही है।    

     हिन्दी फिल्म की लोकप्रियता से कौन अपरिचित है। समस्त भारतीय भाषाओं में बनने वाली फिल्मों के यदि वार्षिक आंकड़े देखें जाएं तो सभी भारतीय भाषाओं में बनने वाली फिल्मों की कुल संख्या(हिन्दी को छोड़कर) हिन्दी फिल्मों की तुलना में नगण्य ही होती है। अन्य भाषाओं के कलाकार हिन्दी फिल्मों में इसीलिए आना चाहते हैं जिससे उन्हें बड़ा दर्शक वर्ग मिल सके।

     पत्रकारिता के क्षेत्र में भी हिन्दी में प्रकाशित दैनिक, साप्ताहिक, पाक्षिक एवं मासिक पत्र-पत्रिकाओं की संख्या अन्य भारतीय भाषाओं की तुलना में बहुत अधिक है। इसी व्यापकता के कारण ही आज हिन्दी को देश की प्रधान भाषा विश्व में माना जा रहा है और विदेशी विद्वान विविध कारणों से हिन्दी का अध्ययन कर रहे हैं।

      भारत के बाहर फीजी, मारिशस, सूरिनाम, त्रिनिदाद व दक्षिण अफ्रीका में बसे लाखों प्रवासी भारतीय विगत 150वर्षों से मातृभाषा के रूप में हिन्दी का व्यवहार करते हैं। ये प्रवासी भारतीय मूलतः पश्चिमी बिहार व पूर्वी उत्तर प्रदेश से इन देशों में पहुंचे थे। इनकी भाषा भोजपुरी व अवधी थी, इसलिए इनके मध्य सम्पर्क का माध्यम ये ही भाषाएं बनीं। कालान्तर में यही हिन्दी इनकी अस्मिता का प्रतीक बन गईं। ये प्रवासी भारतीय हिन्दी का व्यवहार करते हैं, उसका सम्मान करते हैं और हिन्दी का प्रचार-प्रसार चाहते हैं, क्योंकि उनका मानना है कि हिन्दी समस्त भारतीयों को एक दूसरे से जोड़े रखने में महत्वपूर्ण सांस्कृतिक माध्यम है। हिन्दी इन देशों में मात्रा भारतीयों के मध्य ही नहीं, अपितु यहां के मूल निवासियों के मध्य भी अच्छी तरह समझी व बोली जाती है। फीजी में तो हिन्दी को तो संवैधानिक संसदीय मान्यता प्राप्त है।

भारत के पड़ोसी देशों में पाकिस्तान, नेपाल, बंगलादेश व वर्मा में हिन्दी भाषा बोलने व समझने वालों की संख्या पर्याप्त है। पाकिस्तान की राजभाषा उर्दू तो भाषाविज्ञान की दृष्टि से खड़ी बोली प्रधान शैली है। नेपाल में हिन्दी पूरे देश के 53प्रतिशत नेपालियों की मातृभाषा है। इनके अतिरिक्त भारतीय मूल के लोग अमेरिका, यूरोप, आस्ट्रेलिया या अफ्रीका चाहे कहीं भी बसे हों हिन्दी बोलते और समझते हैं। मूलतः हिन्दी विदेशों में बसे भारतीयों के मध्य सम्पर्क भाषा के रूप में प्रयोग की जाती है। प्रवासी भारतीयों की पहली व दूसरी पीढ़ी में हिन्दी मातृभाषा एवं तीसरी व चौथी पीढ़ी के बाद दूसरी भाषा बन जाती है। प्रवासी भारतीय हिन्दी को उन देशों में भी सुरक्षित रखने के लिए प्रयासरत हैं। यहां भारतीय विद्यालयों में हिन्दी पढ़ाई जाती है, हिन्दी पत्र-पत्रिकाओं का प्रकाशन होता है, रेडियो पर दीर्घ अवधि के हिन्दी प्रसारण होते हैं और इतना ही नहीं हिन्दी में मौलिक साहित्य का सृजन भी करते हैं। 

     भाषा की सामाजिक प्रतिष्ठा उसके बोलने वालों की सामाजिक प्रतिष्ठा से जुड़ी होती है। प्रवासी भारतीयों का बड़ा दल सर्वप्रथम मारिशस में 1834ई. में गया था, फिर 1845ई. में त्रिनिनाद, 1860ई. में दक्षिण अफ्रीका, 1870ई. में गुयाना, 1873ई. में सूरिनाम एवं 1879ई. में फीजी गया था। यहां जाने वाले भारतीय अवधी, भोजपुरी व कुछ खड़ी बोली का प्रयोग करते थे। धीरे-धीरे इनकी यह भाषा एक नए रूप में नई शैली में विकसित हो गई। इनके अनेक नाम रखे गए, जैसे सूरिनाम की हिन्दी को सरनामी हिन्दी या सरनामी कहा जाता है। दक्षिण अफ्रीका में इसे नैताली कहा जाता है। इनका प्रयोग प्रवासी भारतीय घर में तथा औपचारिक बातचीत में करते हैं। प्रवासी भारतीयों के निकट आने के लिए विदेशी विद्वानों ने हिन्दी की शैलियों पर विभिन्न दृष्टियों से कार्य किया और इनका व्याकरण बनाया, हिन्दी-अंग्रेजी द्विभाषी कोश तैयार किए।  रोडने मोग का फीजी हिन्दी का व्याकरण, सूजा हील्स का फीजी हिंदी-अंग्रेजी-फीजी हिन्दी कोश इस दिशा में उल्लेखनीय प्रयास हैं। हिन्दी भाषा के अध्ययन और व्याकरण लेखन की परम्परा विदेश में सत्राहवीं शती के अंतिम दशक में प्रारम्भ हो गई थी। हिन्दी भाषा का पहला व्याकरण जान जोशुआ केरलियर का लिखा हुआ है जिसका सर्वप्रथम उल्लेख बी. शुल्तज ने अपने ग्रन्थ ‘ग्रामातिका हिंदोस्तानिका' में किया है। यह पुस्तक डच में थी तथा 1695ई. के आसपास लिखी गई थी। विश्व के विभिन्न विश्वविद्यालयों में विदेशी शोधार्थियों द्वारा अनेक शोध हो रहे हैं जोकि हिन्दी के भाषा तथा साहित्य दोनों पक्षों पर हो रहे हैं। 

     वर्तमान में हिन्दी भाषा का अध्ययन और अध्यापन विश्व के लगभग सभी प्रमुख देशों में हो रहा है, कहीं यह अध्ययन प्राथमिक तथा माध्यमिक स्तर पर हो रहा है तो कहीं विश्वविद्यालय स्तर पर। कहीं यह निज मातृभूमि भारत से जुड़े रहने का भावात्मक माध्यम समझा जाता है तो कहीं इसके अध्ययन का उद्देश्य आधुनिक भारत के अंतर्तम को समझना है। विदेशों में हिन्दी शिक्षण निजी प्रयासों द्वारा, तो कहीं धार्मिक व सामाजिक संस्थाओं द्वारा, तो कहीं सरकारी स्तर पर विद्यालयों और विश्वविद्यालयों में संचालित हो रहा है। अमरीका की डॉ. शोमर के अनुसार यहां 113 विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में हिन्दी अध्ययन की सुविधाएं उपलब्ध हैं जिनमें 13 शोध स्तर के केन्द्र हैं। आंकड़ों के अनुसार विश्व के 143 विश्वविद्यालयों में हिन्दी शिक्षण की विभिन्न स्तरों पर व्यवस्था है। 

     फीजी के कमला प्रसाद मिश्र, मारिशस के अभिमन्यु अनन्त, सोमदत्त बरचौरी, सूरिनाम के मुंशी रहमान खान, सूर्य प्रसाद वीरे के साहित्यिक अवदान को कौन भुला सकता है। अंग्रेज कवि चैम्बर लेन ने हिन्दी में अनेक गीत लिखे, जे.टी.थामसन ने ख्रीष्ट चरितामत दोहा चौपाई में लिखा, जूलियस फ्रेडरिक उलभन ने हिन्दी में ‘वह श्रेष्ठ मूलक था' लिखा तो ओदोलेन, स्मेकल के ‘मेरी प्रीत तेरे गीत' आदि कितने ही ग्रन्थ हिन्दी में प्रकाशित हुए।

     निज भाषा में अभिव्यक्ति व उसके व्यापक प्रचार-प्रसार की इच्छा ने विदेशी हिन्दी प्रेमियों को पत्रकारिता की ओर तत्पर किया। आज विदेशों में कई हिन्दी पत्रा निकल रहे हैं जो बड़ी संख्या में छपते हैं जिनमें प्रवासी भारतीय लेख, कविता तथा कहानियां आदि लिखते हैं। फीजी टाइम्स द्वारा प्रकाशित साप्ताहिक शांतिदूत एक ऐसा पत्र है जो विगत 70वर्ष से निकल रहा है। 

     विदेशों में भारत के प्रति विद्वानों की बढ़ती रुचि ने विदेशियों को भारतीय साहित्य और विशेषकर हिन्दी साहित्य के अनुवाद की ओर प्रेरित किया। हिन्दी साहित्य का विश्व की अनेक भाषाओं में निरन्तर अनुवाद हो रहा है। प्रेमचंद के गोदान का विश्व की लगभग सभी प्रमुख भाषाओं में अनुवाद हुआ। तुलसी कृत रामचरितमानस के अनुवाद तो बाइबिल के बाद विश्व की विविध भाषाओं में सर्वाधिक हुए।

     विश्व स्तर पर हिन्दी आज विश्व की एक प्रतिष्ठित भाषा के रूप में मान्यता प्राप्त है और अपने संख्या बल के आधार पर विश्व की दूसरी प्रमुख भाषा है, विश्व के किसी भी देश में बसे हुए प्रवासी भारतीय हिन्दी को अपनी अस्मिता से जुड़ा हुआ मानते हैं। हिन्दी अध्ययन-अध्यापन की एक परम्परा विदेश में रही है, हिन्दी पत्रकारिता का विदेशों में निरन्तर विकास हो रहा है, हिन्दी साहित्य के अध्ययन व अनुवाद के प्रति भी विदेशियों की रुचि बढ़ी है। समस्त प्रिंट मीडिया इन्टरनेट पर उपलब्ध है। हिन्दी आज भारत की ही नहीं विश्व भाषा का रूप ले चुकी है। सूचना-उद्योग हिन्दी का नए और सृजनात्मक ढंग से प्रभावशाली उपयोग कर रहा है जिसमें विकास की अनन्त संभावनाएं विद्यमान हैं। साहित्य, ज्योतिष, स्वास्थ्य, खेल, मनोरंजन, व्यंजन, योग, धर्म, अध्यात्म, फैशन आदि विविध विषय हिन्दी की बेबसाइटों पर सहज और सदैव सुलभ हैं। इस सारे परिदृश्य में हिन्दी का न केवल भूमंडलीय प्रसार हुआ है अपितु हिन्दी का डंका सम्पूर्ण भूमंडल में बजने और गूंजने लगा है। वस्तुतः भूमंडलीकरण का वर्तमान समय हिन्दी के लिए अनन्त सृजनशील सम्भावनाओं से युक्त है।

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रचनाएँ
hindigadyasahitya
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हिन्दी साहित्य की चर्चा करेंगे!
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सफलता की चाबी

14 जून 2016
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सफलता हमारे द्वारा किए गए कामों पर निर्भर करती है। सफलता की चाबी उसे मिलती है जो एक लक्ष्य और काम को व्यवस्थित ढंग से करता  है।  सफलता  के लिए काम अवश्‍य करें और निरन्‍तर करें। एक समय में एक काम करें, दो या दो से अधिक काम एक साथ प्रारम्‍भ करने से एक भी काम पूरा नहीं होता है। काम सदैव अच्‍छा ही कीजिए

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युक्ति

15 जून 2016
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एक बार मैं मेरठ से कानपुर तक की यात्रा कर रही थी। मेरी सीट खिड़की के पास थी। बायीं ओर डिब्‍बे में सामने वाली सीट पर एक वृद्ध बैठे थे। हापुड़ से कुछ लड़के उसी डिब्‍बे में सवार हुए और वृद्ध के सामने वाली सीट पर बैठ गए। उनमें से एक लड़का बहुत शरारती था। शायद वह उस वृद्ध व्‍यक्ति को परेशान कर मजा लेना च

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आत्मचिन्तन

15 जून 2016
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प्राय: ऐसा होता है कि जब हम काम आरम्‍भ करते हैं तो बड़े उत्‍साह से करते हैं। किन्‍तु ज्‍यों-ज्‍यों उस कार्य में आगे बढ़ते हैं, त्‍यों-त्‍यों उत्‍साह में कमी आने लगती है, लगन शिथिल पढ़ने लगती है। ऐसा क्‍यों है, कभी आपने सोचा। ऐसा आत्‍मचिन्‍तन के अभाव में होता है। निज किए हुए कार्यों का चिन्‍तन करने व

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जिन खोजा तिन पाइयां

16 जून 2016
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एक ग्राम में सभी लोग श्रमदान करके एक मार्ग बना रहे थे जिससे लोगों को आने-जाने में असुविधा न हो। ग्राम के स्‍त्री-पुरुष, बच्‍चे और बूढ़े सभी कठिन परिश्रम कर रहे थे। जो निर्बल या कमजोर थे वे हल्‍का श्रम कर सहयोग कर रहे थे।एक तरफ एक आदमी उदास सा खड़ा सबको कार्य करता हुआ देख रहा था। ग्राम का प्रधान उसके

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निर्लिप्‍तता

17 जून 2016
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वुडरो विल्‍सन अमेरिका के सर्वोच्‍च पद की शोभा बढ़ाने के अलावा एक विद्वान और सुविचारक भी थे। वे लम्‍बी बीमारी के बाद भी जब स्‍वस्‍थ नहीं हुए तो एक दिन उनके अभिन्‍न मित्र ने उनसे कहा,'मित्र, अब तो शायद आपका समय निकट आ ही गया है।' मित्र की बात सुनकर वुडरो विल्‍सन मुस्‍कराकर बोले,'मेरे प्रिय मित्र, मैं

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समकालीन उपन्यास साहित्य में नारी विमर्श

17 जून 2016
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वैदिक काल में नारी की स्थिति अत्यन्त उच्च थी। उस काल में यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता की कहावत चरितार्थ होती थी। भारतीयों के सभी आदर्श रूप नारी में पाए जाते थे, जैसे सरस्वती(विद्या का आदर्श), लक्ष्मी(धन का आदर्श), दुर्गा(शक्ति का आदर्श), रति(सौन्दर्य का आदर्श) एवं गंगा(पवित्राता का आदर

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भूमंडलीकरण के दौर में हिन्दी

18 जून 2016
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प्रेमचन्द के उपन्यासों में सामाजिक चेतना

19 जून 2016
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     मानव स्वयं सामाजिक प्राणी है। समाज हमारे-आपके जीवन की प्रतिध्वनि होता है। समाज शब्द अत्यन्त व्यापक और उसकी समस्याएं इससे कहीं अधिक व्यापक हैं। सारी चेतना जो व्यक्ति विशेष की न होकर एक ही काल में अनेक व्यक्तियों या समुदाय, समाज, राष्ट्र या सम्पूर्ण मानव जाति की सम्पत्ति ही सामाजिक चेतना है। किसी

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एकता

19 जून 2016
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जाति एक भ्रान्ति है-मानव को मानव से तोड़ने की, मानवता से मोड़ने की, भेदभाव से जोड़ने की। यह सार्वभौमिक सत्य है-हर धमनी में दौड़ता खून लाल है। समानता की सबसे बड़ी मिसाल है। सर्वधर्म, समभाव की भावना यह होगी सबकी कामना तब वो दिन दूर न होगा- जब एकता के वटवृक्ष उगेंगे शान्ति के दीपक जलेंगे और इस जाति नाम

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प्रेमचन्द के उपन्यासों में बाल मनोविज्ञान

20 जून 2016
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          प्रेमचन्द हिन्दी के प्रथम मौलिक उपन्यासकार हैं। उन्होंने एक क्रमबद्ध एवं संगठित कथा देने का महत्त्वपूर्ण प्रयास किया है। उन्होंने हिन्दी के पाठकों की अभिरुचि को तिलिस्मी उपन्यासों की गर्त से निकालकर शुद्ध साहित्यिक नींव पर स्थिर किया। उनकी कला, उनका आदर्शवाद, उनकी कल्पना और सौन्दर्यानुभूति

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योग

21 जून 2016
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योग व्यक्ति को तन और मन से जोड़ता है। तन से जुड़ने का का मतलब है शरीर की देखभाल इस देखभाल से स्वास्थ्य अच्छा रहता है और मन सेे जुड़ने का मतलब है मन की एकाग्रता। इस प्रकार तन और मन पर व्यक्ति का नियंत्रण हो जाता है जिससे संयम, विवेक और साहस बढ़ता है और व्यक्ति स्वस्थ व प्रसन्नचित्त रहता है। वस्तुतः यो

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उन्नति

22 जून 2016
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उन्नति सभी चाहते हैं लेकिन उन्नति उनको मिलती है जो जीवन में इन पांच सूत्रों को अपनाते हैं-1. अपने क्षेत्र में सदैव ज्ञान के मामले में अद्यतन रहते हैं। 2. आगे बढ़कर काम पकड़ते हैं। 3. जोखिम उठाने से कभी पीछे नहीं हटते हैं।4. काम सदैव पूरा रखते हैं। 5. नए अवसर क़ी ताक में रहते हैं। जो इन पांच सूत्रों क

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बीमार ही नहीं पड़ेंगे!

23 जून 2016
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डाॅ. केनेथ वाकर ने अपनी आत्मकथा में कहा है-‘आप जितना खाते हैं उसके आधे भोजन से पेट भरता है और आधे भोजन से डाॅक्टरों का पेट भरता है। आप आधा भोजन ही करें तो आप बीमार ही नहीं पड़ेंगे और डाॅक्टरों की कोई खास आवश्यकता नहीं रह जाएगी।’ डाॅ. केनेथ की यह बात अनुभूत है और व्यवहारोपयोगी है। सच में भूख से कम खा

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प्रेम

25 जून 2016
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मौन   है  बोले समर्पण-भाषाप्रेमद्वार खोले।          प्रीत   की   रीत          त्याग है पहचाने          होती नहीं जीत। खुश रहे सदा मन ये मानतावैसा न दूजा।            सदा है बांधता            मोह का बंधन           प्रेम का चंदन आती हर आहट उनकी है चाहतदेती कहां राहत ।          संदेशा ये मिला          आ

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सड़क और कविताएं

26 जून 2016
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सत्य की सड़क मिथ्या की चाैखट पर पहुंचकरमात्र एक गैलरी रह जाती हैऔर शेष भूमि परकविताएं लिख दी जाती हैं,कविताएंजो कभी भी किसी भी सूरत मेंसड्कें नहीं बन सकतीं।प्रशस्ति पत्रों से लिपटी सहमी ग्रामीण दुल्हनों जैसी जीवन भर चक्की पीसती रहती है, रोटियां पकाती रहती है और उधर मिथ्या की काली गैलरी में जेबें काट

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मंजिल

27 जून 2016
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जिंदगी   है   इक  झरोखा झांकते रहिये।लक्ष्य  से  भी  अपनी  दूरी  नापते  रहिये। साथ-साथ  चलेंगे तो पा ही लेंगे  मंजिलें। बस एक दूजे के दु:खों को  बांटते रहिये।

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रात सिर्फ रात नहीं

28 जून 2016
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रात सिर्फ रात नहींएक मंजिल भी है।      सुबह की  लगन की      दोपहर के सफर की      शाम  की कथन की। ख्वाब सिर्फ ख्वाब नहीं एक   तस्कीन   भी   है      जख्म पर मरहम सी      अजनबी   चुभन-सी      बांहों   में   दुल्हन-सी। गीत सिर्फ गीत नहीं एक  सहारा  भी  है।      तन्हाई में साथी-सा             कश्ती में म

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न्याय का घंटा

29 जून 2016
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    महाभारत में विजयी होकर युधिष्ठिर ने राज्य सत्ता संभाली। सबको समान न्याय मिले, उनके राज्य में कोई दुःखी नह हो इसके लिए उन्होंने ‘न्याय घंटा’ लगवा दिया ताकि प्रत्येक व्यक्ति की फरियाद सुन सकें।    एक बार एक निर्धन व्यक्ति ने न्याय मांगने के लिए घंटा बजाया। युधिष्ठर राजकाज में व्यस्त थे, उन्होंने

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बात जो दिल को छू गई

1 जुलाई 2016
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बात उन दिनों की है जब मैं दसवी कक्षा की छात्रा थी। किसी के नाम के पूर्व डाॅ. की उपाधि देखकर मन असंख्य अभिलाषाओं से भर उठता। मैं  सोचती  काश, मेरे नाम से पूर्व भी यह उपाधि लगे। साहित्य लेखन में रुचि होने के कारण कविता, कहानी आदि की प्रतियोगिताओं में भाग लिया करती थी जिससे  मैं स्कूल की प्राचार्या से 

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कर्म प्रधान विश्व रचि राखा

2 जुलाई 2016
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जीवन राह देता है पर हम उसे पकड़ नही पाते हैं। अकर्मण्यता या आलस्य वश ऐसा होता है। भाग्य भी पुरुषार्थ से फलीभूत होता है। कर्म के योग से कुशलता प्राप्त होती है। कर्म की महत्ता सर्वोपरि है। बिना कर्म के कुछ नहीं मिलता है। ईश्वर आशीष से हमें जो यह अनमोल जीवन मिला है इसे सार्थक करने के लिए हमें कर्म को म

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सफलता का शाॅर्टकट

3 जुलाई 2016
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आप स्कूटर की टंकी फुल कराकर मेरठ से अलीगढ़ की यात्रा करने के लिए निकल पड़े हैं पर आपका पेट्रोल आधे रास्ते में ही समाप्त हो गया और आपकी यात्रा रुक गयी। स्पष्ट है कि जब तक आपके पास क्षमता  है तब तक ही आप सफलता की सीढ़ी चढ़ सकेंगे। सफलता उसी अनुपात में मिलती हैजिस अनुपात में आपके पास वांछित वस्तु पाने 

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अधिकार किसका

4 जुलाई 2016
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बस दलपतपुर आकर रुक गई। सवारियों का आवागमन चरम सीमा पर था। बस ठसाठस भरी थी। लेकिन फिर भी कंडक्टर का आवाज दे-देकर यात्रियों को बुलाना वातावरण में कोलाहल पैदा कर रहा था।  एक बूढ़ी औरत के बस के पायदान पर पैर रखते ही कंडक्टर ने सीटी दे दी। कंपकंपाते हाथों से बुढि़या की पोटली सड़क पर ही गिर पड़ी। ‘रुकके भ

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जीत

7 जुलाई 2016
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हार स्वीकार करने वाला ही जीवन में निराश होता है। जो हारने के उपरान्त भी हार नहीं मानते हैं और अपने हार के कारणों को खोजकर उनमें सुधार लाते हुए पुनः प्रयास करते हैं, वे अवश्य जीतते हैं! न हार मानने वाला ही पुनः प्रयास करता है। वस्तुतः यह सत्य है कि हार के बाद ही जीत है! 

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प्रशंसा में सृजन की क्षमता होती है!

10 जुलाई 2016
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प्रत्येक व्यक्ति अपनी प्रशंसा चाहता है। सही अर्थों में प्रशंसा एक प्रकार का प्रोत्साहन है! प्रशंसा में सृजन की क्षमा होती है। इसलिए प्रशंसा करने का जब भी अवसर मिले उसे व्यक्त करने से नहीं चूकना चाहिए। प्रशंसा करने से प्रशंसक की प्रतिष्ठा बढ़ती है। सभी में गुण व दोष होते हैं। ऐसा नहीं है कि बुरे से ब

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चहुंमुखी विकास

11 जुलाई 2016
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जीवन में एक विकल्प या एक सोच रखकर प्रयास करने पर जीवन का चहुंमुखी विकास नहीं होता है। जीवन का विकास अनेक विकल्पों या अनेक प्रकार की सोच को फलीभूत करने के लिए प्रयास करने पर चहुंमुखी विकास के संग ढेरों खुुशियां मिलती हैं। लेकिन यह ध्यान रखें कि जितने विकल्प होंगे उतने अधिक प्रयास और बहुत-सा परिश्रम भ

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उपयोगी

12 जुलाई 2016
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उपयोगी को ग्राह्य कर लेना चाहिए और अनुपयोगी को त्याज्य देना चाहिए। एक बार की बात है कि गांधी जी को किसी युवक द्वारा लिखा एक पत्र मिला जिसमें गांधी जी को बहुत गालियां दी गई थीं।  गांधी जी ने शान्त भाव से तीन पन्नों का पत्र पढ़ा था और उसमें लगी आॅलपिन को निकालकर रख लिया और पत्र फाड़कर रद्दी की टोकरी म

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व्यक्तित्व निर्माण का मूलाधार

16 जुलाई 2016
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व्यक्तित्व का निर्माण मूल रूप से विचारों पर निर्भर है। चिन्तन मन के साथ-साथ शरीर को भी प्रभावित करता है। चिन्तन की उत्कृष्टता को व्यवहार में लाने से ही भावात्मक व सामाजिक सामंजस्य बनता है। हमारे मन की बनावट ऐसी है कि वह चिन्तन के लिए आधार खोजता है। चिन्तन का जैसा माध्यम होगा वैसा ही उसका स्तर होगा।न

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मोक्ष मार्ग निर्गुणी को ही मिलता है!

18 जुलाई 2016
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       प्रकृति त्रिगुणमयी है इसलिए हमारा जीवन इनसे प्रभावित होता है। गुण तीन हैं-तमोगुण, रजोगुण व सतोगुण! तमोगुण अर्थात्  सुस्ती, आलस्य। ये कुछ भी मन से नहीं करते हैं, मजबूरी में करते हैं। ऐसे लोग अच्छा जीवन कदापि नहीं जीते हैं। ये कुछ करने से पहले सुविधा का सोचते हैं! ये अपने सुविधा क्षेत्र से बाहर

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गुरु से तात्पर्य क्या है?

19 जुलाई 2016
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गुरु शब्द में दो व्यंजन (अक्षर) गु और रु के अर्थ इस प्रकार से हैं- गु शब्द का अर्थ है अज्ञान, जो कि अधिकांश मनुष्यों में होता है ।रु शब्द का अर्थ है, जो अज्ञान का नाश करता है ।अतः गुरु वह है जो मानव जाति के आध्यात्मिक अज्ञान रूपी अंधकार को मिटाते हैं और उसे आध्यात्मिक ज्ञान प्रदान करते हैं । गुरु से

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निरंतरता

20 जुलाई 2016
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निरंतरता सीखनी चाहिए। जब तक आप कोई संकल्प लेकर उसमें निरंतरता नहीं रखेंगे उसका अच्छा प्रभाव भी नहीं मिलेगा और संकल्प भी अधूरा रह जाएगा। मान लो आपन संकल्प लिया कि कल से मैं प्रतिदिन आधा घंटा व्यायाम करूंगा। आपने अपने संकल्प के अनुसार प्रारम्भ भी कर दिया पर किसी न किसी कारणवश आप नागा करने लगे। ऐसा करन

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चरित्र से व्यक्तित्व का विकास होता है!

21 जुलाई 2016
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चरित्र व्यक्ति की  मौलिक विशेषता व उसके द्वारा ही निर्मित होता है। चरित्र से व्यक्ति के निजी दृष्टिकोण, निश्चय, संकल्प व साहस के साथ-साथ बाह्य प्रभाव भी समिश्रित रहता है। परिस्थितियां सदैव सामान्य स्तर के लोगों पर हावी होती हैं। मौलिक विशेषता वाले लोग नदी के प्रवाह के विपरीत मछली सदृश निज पूंछ के बल

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सफलता हमारे पास होगी!

24 जुलाई 2016
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अनेक लोग अपना कार्य बीच में ही छोड़कर बैठ जाते हैं जबकि उन्हें सफलता मिलने वाली होती है। मन में करो या मरो की भावना जाग्रत रखने की भावना इनमें होती तो वे सफलता के शीर्ष पर होते। जो सफलता मिलने के पूर्व ही कार्य छोड़ देते हैं वे कभी आगे नहीं बढ़ सकते हैं। ऐसा उन्हीं के साथ होता है जिनके मन में स्वार्

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सौभाग्यशाली कौन बनता है?

26 जुलाई 2016
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अवसर का सदुपयोग ही भाग्य है।भाग्य का सदुपयोग सफलता है। जीवन को सफल वही बना पाता है जो प्राप्त अवसरों का उपयोग करने हेतु पूर्ण तत्परता सहित प्रस्तुत रहता है। प्रायः अवसर सभी के समक्ष आते हैं पर हम उन अवसरों को पकड़कर उपयोग में लाने के लिए सजग नहीं होते हैं। सच्चाई से कार्य करने वाले, पूर्ण समर्पण भाव

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रचनात्मकता

10 अगस्त 2016
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व्यक्ति की रचनात्मक प्रवृत्ति तब अधिक निखर कर आती है जब वह मुक्त होकर सोचता है। मुक्त सोच के अनुसार कुछ नया करने का प्रयास करने पर भी रचनात्मकता आती है। अपनी मुक्त सोच को अपनी रचनात्मक रुचि के अनुसार विकसित करें। ऐसा करने से आपके कार्य में नवीनता होगी और लक्ष्य प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करने में भी 

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विजयादशमी

11 अक्टूबर 2016
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दीपावली

30 अक्टूबर 2016
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दीपपर्व सभी को मंगलमय हो!

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नववर्ष मंगलमय हो!

1 जनवरी 2017
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नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं

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मृत्‍यु के समय क्‍या साथ जाता है

3 मई 2017
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मृत्‍यु के समय क्‍या साथ जाता है (MRt‍yu ke samay k‍yaa saath jaataa hai)इस वीडियो में यह बताने का प्रयास किया गया है कि मृत्‍यु के समय क्‍या साथ जाता है। मृत्‍यु के समय क्‍या साथ जाता है (MRt‍yu ke samay k‍yaa saath jaataa hai) - YouTu

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क्‍या दान पाप नाशक होता है

4 मई 2017
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क्‍या दान पाप नाशक होता है (K‍yaa daan paapanaashak hotaa hai)इस वीडियो में यह बताने का प्रयास किया गया है कि क्‍या दान पाप नाशक होता है। क्‍या दान पाप नाशक होता है (K‍yaa daan paapanaashak hotaa hai) - YouTube

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विश्‍व योग दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं (योग की सार्थकता कब है)

21 जून 2017
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विश्‍व योग दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं (योग की सार्थकता कब है)आज 21 जून विश्‍व योग दिवस है। इस वीडियो में विश्‍व योग दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएं देते हुए एक सन्‍देश दिया गया है। इस सन्‍देश का अनुसरण करने पर ही योग की सार्थकता है। यदि अभी तक आपने हमारे चैनल को सबस्‍क्राईब नह

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माईग्रेन से राहत कैसे पाएं

14 जुलाई 2017
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माईग्रेन से राहत कैसे पाएं इस वीडियो में यह बताने का प्रयास किया गया है कि माईग्रेन से राहत कैसे पाएं। यदि अभी तक आपने हमारे चैनल को सबस्‍क्राईब नहीं किया है तो अवश्‍य करें और नयी ज्ञानवर्धक, प्रेरणास्‍पद् और मनोरंजक वीडियो की जानकारी पाएं।Share, Support, Subscribe!!!Sub

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भारत के राष्ट्रपति की शक्तियां प्रत्‍येक नागरिक को ज्ञात होनी चाहिएं

19 जुलाई 2017
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26 जनवरी, 1950 को संविधान के अस्तित्व में आने के साथ ही देश ने लोकतांत्रिक गणराज्य का दर्जा प्राप्‍त किया। गणराज्य का जो प्रधान निर्वाचित होगा उसको राष्ट्रपति कहा जाता है। संविधान के अनुसार भारत का एक राष्ट्रपति होगा जोकि संविधान के अनुसार स्वयं या अपने अधीनस्थ अधिकारियों

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एसीडिटी कैसे ठीक करें

27 जुलाई 2017
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एसीडिटी कैसे ठीक करेंआज मंगलवार है और प्रत्‍येक मंगल को सेहत संबंधी चर्चा करेंगे। आज इस वीडियो में यह बताने का प्रयास किया गया है कि एसीडिटी कैसे ठीक करें। यदि अभी तक आपने हमारे चैनल को सबस्‍क्राईब नहीं किया है तो अवश्‍य करें और नयी ज्ञानवर्धक, प्रेरणास्‍पद् और मनोरंजक वी

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स्‍वतन्‍त्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं

15 अगस्त 2017
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स्‍वतन्‍त्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं आज मंगलवार है और प्रत्‍येक मंगल को सेहत संबंधी चर्चा करते हैं पर आज स्‍वतन्‍त्रता दिवस होने के कारण आज की वीडियो में आप सबको स्‍वतन्‍त्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं दे रहे हैं। आप सबको स्‍वतन्‍त्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं। यद

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उदर विकार नाशक चूर्ण

12 सितम्बर 2017
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उदर विकार नाशक चूर्ण आज की वीडियो में यह बताएंगे कि उदर विकार नाशक चूर्ण कैसे बनाएं।यदि अभी तक आपने हमारे चैनल को सबस्‍क्राईब नहीं किया है तो अवश्‍य करें और नयी ज्ञान वर्धक, प्रेरणास्‍पद् और मनोरंजक वीडियो की जानकारी पाएं।Share, Support

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Vayu Mudraa(In Hindi) वायु मुद्रा - YouTube

17 सितम्बर 2017
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वायु मुद्राआज की वीडियो में योग के अन्‍तर्गत वायु मुद्रा की चर्चा करेंगे और यह बताएंगे कि वायु मुद्रा क्‍या है और कैसे बनती है तथा इसको करने से क्‍या लाभ होता है।यदि आपने अभी तक आपने हमारे चैनल को सबस्‍क्राईब नहीं किया है तो अवश्‍य करें और नयी ज्ञानवर्धक, प्रेरणास्‍पद्, म

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किस प्रकार का भोजन लाभदायक होता है

19 सितम्बर 2017
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किस प्रकार का भोजन लाभदायक होता है आज की वीडियो में यह बताएंगे कि किस प्रकार का भोजन लाभदायक होता है।यदि अभी तक आपने हमारे चैनल को सबस्‍क्राईब नहीं किया है तो अवश्‍य करें और नयी ज्ञानवर्धक, प्रेरणास्‍पद् और मनोरंजक वीडियो की जानकारी पाएं।Share, Support, Subscribe!!!Subs

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