अवसर का सदुपयोग ही भाग्य है।
भाग्य का सदुपयोग सफलता है।
जीवन को सफल वही बना पाता है जो प्राप्त अवसरों का उपयोग करने हेतु पूर्ण तत्परता सहित प्रस्तुत रहता है।
प्रायः अवसर सभी के समक्ष आते हैं पर हम उन अवसरों को पकड़कर उपयोग में लाने के लिए सजग नहीं होते हैं।
सच्चाई से कार्य करने वाले, पूर्ण समर्पण भाव से पूरी लगन से लक्ष्य के लिए परिश्रम करने वाले ही सफलता का पूर्ण आनन्द उठा पाते हैं।
भाग्य से प्राप्त होने वाले किसी अवसर की प्रतीक्षा करने वाले ही दुर्भाग्य को निमन्त्रण देते हैं।
जो सजग रहकर अवसरानुकूल सक्रिय हो जाता है वह अपने भाग्य को निज पुरुषार्थ से जगा लेता है और फिर सफलता उसकी होती है।
सजग रहकर अवसरों को निज पुरुषार्थ से सार्थक बनाने वाला ही सौभाग्यशाली बनता है।