महाभारत में विजयी होकर युधिष्ठिर ने राज्य सत्ता संभाली। सबको समान न्याय मिले, उनके राज्य में कोई दुःखी नह हो इसके लिए उन्होंने ‘न्याय घंटा’ लगवा दिया ताकि प्रत्येक व्यक्ति की फरियाद सुन सकें।
एक बार एक निर्धन व्यक्ति ने न्याय मांगने के लिए घंटा बजाया। युधिष्ठर राजकाज में व्यस्त थे, उन्होंने नकुल से कहा-‘उस व्यक्ति से कह दो कल आए तभी हम न्याय करेंगे।’
यह जानकर भीम ने घंटा बजाना शुरू कर दिया। धर्मराज ने भीम को बुलाया और पूछा-‘तुम्हें क्या कष्ट है?’
भीम ने मुस्काते हुए कहा-‘दादा! लगता है, आपने समय पर विजय पा ली है।’
युधिष्ठर विस्मित हो बोले-‘कैसी बातें कर रहे हो, समय पर तो कोई विजय नहीं पा सका।’
भीम बोला-‘आपने उस निर्धन को कहलवाया है कि कल आना। आप बुद्धिमान हैं, बताईए कल क्या कभी आती है? समय एक क्षण भी ठहरता है-क्या? इसलिए जो करना है उसे उसी समय क्यों न कर लिया जाए...?’
भीम की बात से युधिष्ठिर और सभी सभासद स्तब्ध थे। धर्मराज प्रसन्न होकर बोले-‘भीम! यह मेरी भूल थी, समय तो गतिमान है।’
उन्होंने तत्काल उस निर्धन को बुलाकर न्याय दिलाया।