रात सिर्फ रात नहीं
एक मंजिल भी है।
सुबह की लगन की
दोपहर के सफर की
शाम की कथन की।
ख्वाब सिर्फ ख्वाब नहीं
एक तस्कीन भी है
जख्म पर मरहम सी
अजनबी चुभन-सी
बांहों में दुल्हन-सी।
गीत सिर्फ गीत नहीं
एक सहारा भी है।
तन्हाई में साथी-सा
कश्ती में मांझी-सा
अंधेरे में बाती-सा।
दर्द सिर्फ दर्द नहीं
एक सबक भी है।
शहर में चलने का
कांटो में पलने का
आग में ढलने का।
रात सिर्फ रात नहीं
एक मंजिल भी है।