हम जिन्दगी के उस मुक़ाम पर खडे है
जहाँ कब जिन्दगी की शाम हो जाये ।
कोई भरोसा नही , कोई भरोसा नही ।
अब आगे चल नही सकता
पीछे मुड नही सकता ।
जीवनसंगिनी चली जीवन पथ पर
अंत समय तक साथ निभाने
दुःख सुख मे साथ निभाने की जिसने कसमे खाई
वही सब भूल कर बच्चे बहू नाती नातन मे खो गई
हम जिन्दगी के उस मुक़ाम पर खडे है
जहाँ कब जिन्दगी की शाम हो जाये ।
कोई भरोसा नही , कोई भरोसा नही ।
बुढ्ढे को अलग कमरे मे रहने को मजबूर किया
मै अकेला तन्हा तडफता रहा,
सब कुछ होते हुऐ भी मै अकेला रहा
कहने को सब है मगर कुछ नही
अकेला और कब तक चलू
जीवन रुकता नही ,शाम होती नही
हम जिन्दगी के उस मुक़ाम पर खडे है
जहाँ कब जिन्दगी की शाम हो जाये ।
कोई भरोसा नही , कोई भरोसा नही ।
जिन्दगी बोक्ष हो गई रात दिन कटते नही
उम्मीदों की सुबहा नही, शाम की आस नही
जब जवानी थी जब कमाता था ।
सब की आँखों का तारा था ।
अब बेकार हूँ बेबस हूँ लाचार हूँ
हम जिन्दगी के उस मुक़ाम पर खडे है
जहाँ कब जिन्दगी की शाम हो जाये ।
कोई भरोसा नही , कोई भरोसा नही ।