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ओओं हम सब मिल कर

4 अक्टूबर 2022

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                         ओओं हम सब मिल कर 

ओओं हम सब मिल कर 

एक नया भारत बनाये

जिसमे मजहपों के नाम नफरत न हो ।

जातीपात ऊच नीच की दीवार न हो ।

मंदिर मे हो घंटे, मस्जिद मे हो आजान

 गुरुद्वारे की गुरुवाणी

चर्च मे ईशू की पवित्र वाणी

ऐसा भारत हम बनाये 

जो मजहपो के नाम का

जहरीले बीज बोते ।

बन हम हिन्द की ताकत

सबको अमन चैन का पाठ पढ पढाये

ओओं हम सब मिल कर 

एक नया भारत बनाये।

जहाँ राम हो रहीम हो 

सिख हो ईसाई हो

भाई से भाई का प्यार हो 

जहाँ नफरतों की कोई जगह न हो 

ओओं हम सब मिल कर 

 एक नया भारत बनाये

तोड दो उन दिवारों को 

जहां से नफरत की बूँ आये ।

चैन अमन की खुशबू हो जहाँ

हम ऐसा एक मुल्क बनायें ।

दुनिया की जंगी,नफरती अबों हवा से दूर

एक सुनहरा हिन्दुस्तान बनाये

ओओं हम सब मिल कर 

एक नया भारत बनाये ।

डाँ. कृष्णभूषण सिह चन्देल

मो. 9926436304




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रचनाएँ
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ओओं हम सब मिल कर एक नया भारत बनाये

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ओओं हम सब मिल कर एक नया भारत बनाये जिसमे मजहपों के नाम नफरत न हो । जातीपात ऊच नीच की दीवार न हो । मंदिर मे हो शंख नांद, मस्जिद मे आजान हो, गुरुद्वारे की गुरुवाणी , चर्चो में घन्टो की आवाज हो ।

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                         ओओं हम सब मिल कर  ओओं हम सब मिल कर  एक नया भारत बनाये जिसमे मजहपों के नाम नफरत न हो । जातीपात ऊच नीच की दीवार न हो । मंदिर मे हो घंटे, मस्जिद मे हो आजान  गुरुद्वारे की ग

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बेखौप जिन्दगी चलती रही । कभी खुशी,कभी गम की राहो में ।। कभी ठन्ड ने कपाया,कभी गर्मी ने झुलसाया । कितने सावन भादों ,आये चले गये इन राहों मे ।। बेखौप जिन्दगी चलती रही । कभी खुशी,कभी गम की राहों में

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सुनों सुनों ऐ इंसानों ,ब्याने कब्रिस्तान के , मेरे सन्नाटे, इस बीराने में,एक ख़ामोश आवाज है । कब्र की लिखीं इबारतें, तुम पढ लोगे इंसानों , पर क्या तुम मेरी ख़ामोश आवाज़ को सुन सकते हो कब्र मे दफ़न हर

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 जो हे भईया नओ जमानों सिगरट ऊगरियों मे दबी  मों में गुटखा चबा रये  पेले भईया मोटर साइकिल को फटफट केत हते , अब तो टू व्हीलर, बाईक  और कुजाने का का केरये ।  जो हे भईया नओ जमानों । पेले भईया कार

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दद्दा बऊ की सुने ने भाईया साकें (शौक) को मरे जा रये । अँगुरियों (अंगुलियों) मे सिगरट दबाये , और मों (मुँह) में गुटका खाँ रये । निपकत सो पेंट पेर रये , सबरई निकरत जा रये । दद्दा बऊ की सुने ने भाई

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अब तों फि़जओं में, वो मस्तीयॉ कहॉ । जहॉ देखों बिरानी ही बिरानी छॉई है ॥ बुर्जुगों से भी अब कायदा नही । ज़ाम से ज़ाम टकराने,  की तहजीब सी आई है ॥ किसे कहते हों, तुम इसान यहॉ ? यहॉ तो कपडों की तरह

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ऐ जि़न्दगी ले चल मुझें वहाँ

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ऐ जि़न्दगी ले चल मुझें वहाँ  जहाँ नफरतों की दिवारें न हो , इंसान का इंसान से, इंसानियत का नाता हो, हर सुबह मस्जिद मे आज़ान हो मंदिर मे घंटो की आवाज़ हो चर्चो में प्रभु इशु की प्रार्थनाएं गुरुद्वार

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