पाकिस्तान में जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम (जेयूआई-एफ) के प्रमुख मौलाना फजलुर रहमान ने एक सनसनीखेज दावा किया है। मौलाना ने दावा किया है कि पाकिस्तान पर इजराइल को मान्यता देने का भारी दवाब है। फजलुर रहमान ने कहा कि पाकिस्तान को इजरायल को मान्यता देने के लिए विभिन्न वर्गों से आर्थिक दबाव का सामना करना पड़ रहा है।
आपको बता दें कि पाकिस्तान एक स्वतंत्र देश के तौर पर इजरायल को मान्यता नहीं देता है। पाकिस्तान का इजरायल के साथ राजनयिक संबंध भी नहीं है। लेकिन, हाल के इजरायल-हमास युद्ध को लेकर पाकिस्तान के नरम रुख ने दुनियाभर के कई कूटनीतिक विशेषज्ञों को हैरान किया है।
पार्टी कार्यकर्ताओं की एक सभा बैठक में बोलते हुए, मौलाना रहमान ने ये आरोप लगाया कि पिछली इमरान खान के नेतृत्व वाली पीटीआई सरकार "कश्मीर से समर्थन वापस लेने, इजराइल को मान्यता देने और पाकिस्तान को खंडित करने" के एजेंडे के साथ सत्ता में आई थी।
उन्होंने पीटीआई सरकार पर यहूदियों के समर्थन का भी आरोप लगाया। गाजा संघर्ष पर मौलाना फजलुर रहमान ने कहा कि इजराइली आक्रमण ने फिलिस्तीनी मुद्दे को एक बार फिर सुर्खियों में ला दिया है। उन्होंने जोर देकर कहा कि गाजा पट्टी के आबादी वाले इलाकों में अंधाधुंध बमबारी एक युद्ध अपराध है।
इजराइल के हमले पर मानवाधिकार समर्थक देशों के समर्थन पर सवाल उठाते हुए मौलाना फजलुर रहमान ने कहा कि अमेरिका ने 20 साल तक अफगानिस्तान पर बमबारी की। इसके बावजूद वह मानवाधिकारों के रक्षक होने का दावा करता है।
उन्होंने कहा कि अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों ने इराक, लीबिया और सीरिया को नष्ट कर दिया है। मौलाना रहमान ने कहा कि वे लोगों पर अत्याचार करते हैं और फिर मानवाधिकारों के चैंपियन होने का दावा करते हैं। मौलान फजलुर रहमान ने अमेरिका को पश्चिम एशिया में जारी सारे फसाद की जड़ करार दिया। उन्होंने पाकिस्तान को इस्लाम की रक्षा के लिए आगे आने का आह्वान भी किया।