समलैंगिक विवाह को अनुमति देने वाला पहला देश नीदरलैंड है। इस देश ने 1 अप्रैल 2000 में सेम जेंडर मैरिज को मान्यता दे दी थी। बता दें कि समलैंगिक विवाह को मंजूरी देने वाले अधितकर यूरोपीय और दक्षिण अमेरिकी देश हैं। भारत में समलैंगिक शादी को कानूनी मान्यता मिलेगी या नहीं सुप्रीम कोर्ट में फिलहाल सुनवाई जारी है।
अमेरिका समेत इन 32 देशों में समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता।(फोटो सौजन्य से जागरण)
प्यार, प्यार होता है।' पुरुष को महिला से, महिला को महिला से या पुरुष को पुरुष से, प्यार तो प्यार ही होता है। समाज में जहां एक महिला और पुरुष के प्रेम संबंध को स्वीकार नहीं किया जाता तो हम ये कैसे मान लें कि ये दुनिया समलैंगिकता को स्वीकार कर लेगा। क्या समलैंगिकता अपराध है या प्यार करना अपराध है?
आज (17 अक्टूबर 2023) को सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने समलैंगिक शादी को कानूनी मान्यता देने से इनकार कर दिया। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजय किशन कौल, एस रवींद्र भट्ट, हिमा कोहली और पीएस नरसिम्हा की पीठ ने यह फैसला सुनाया। शीर्ष अदालत ने 10 दिनों तक सुनवाई करने के बाद 11 मई को इस मुद्दे पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
'प्यार-प्यार होता है'- अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इस विधेयक के पारित होने पर खुशी जताई है। उन्होंने कहा कि प्यार-प्यार होता है। इस विधेयक के पारित होने के बाद ये सुनिश्चित होगा कि LGBTQ के युवा इस बात के साथ बड़े होंगे कि वे भी पूर्ण, खुशहाल जीवन जी सकें और अपने परिवार का निर्माण कर सकें।
क्या है समलैंगिक विवाह/ सेम जेंडर मैरिज?
समलैंगिक विवाह जिसे सेम जेंडर मैरिज भी कहा जाता हैं। इसमें एक जेंडर वाले दो लोग आपस में शादी करते हैं, जैसे दो लड़कियां और दो लड़के आपस मे शादी करेंगे तो इसे समलैंगिक विवाह कहा जाएगा। बता दें कि भारत में अभी समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता नहीं मिली है। वहीं दुनिया के 32 देश ऐसे है जहां समलैंगिक विवाह यानी की सेम जेंडर मैरिज को कानूनी रूप से मान्यता मिल गई है।
32 देश जहां, समलैंगिक विवाह को दी गई कानूनी मान्यता
दुनिया के कई देशों में वहां की सरकारों ने समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता दे दी है। समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने वाले देशों में अब एक नया नाम और जुड़ गया है। इस देश का नाम है अमेरिका। बता दें कि अमेरिका की संसद द्वारा सेम जेंडर मैरिज बिल को पास करने के साथ ही उन हजारों समलैंगिक जोड़ों को बहुत बड़ी राहत मिली है, जिन्होंने उच्चतम न्यायालय के 2015 के फैसले के बाद शादी की थी। इस फैसले के तहत देशभर में समलैंगिक शादियों को कानूनी मान्यता दी गई। इसी के साथ अब दुनिया में कम से कम 32 देशों में समलैंगिक विवाह की अनुमति है।
समलैंगिक विवाह को अनुमति देने वाला पहला देश नीदरलैंड
समलैंगिक विवाह को अनुमति देने वाला पहला देश नीदरलैंड है। इस देश ने 1 अप्रैल 2000 में सेम जेंडर मैरिज को मान्यता दे दी थी। बता दें कि समलैंगिक विवाह को मंजूरी देने वाले अधितकर यूरोपीय और दक्षिण अमेरिकी देश हैं। कुल मिलाकर अब तक 32 देशों ने समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता दे दी है।
दुनिया भर के उन सभी देशों की पूरी लिस्ट, जिन्होंने समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता दी
अर्जेंटीना (2010 से)
ऑस्ट्रेलिया (2017 से)
ऑस्ट्रिया (2019 से)
बेल्जियम (2003 से)
ब्राजील (2013 से)
कनाडा (2005 से)
चिली (2022 से)
कोलंबिया (2016 से)
कोस्टा रिका (2020 से)
डेनमार्क (2012 से)
इक्वाडोर (2019 से)
फिनलैंड (2010 से)
फ्रांस (2013 से)
जर्मनी (2017 से)
आइसलैंड (2010 से)
आयरलैंड (2015 से)
लक्समबर्ग (2015 से)
माल्टा (2017 से)
मेक्सिको (2010 से)
नीदरलैंड्स (2001 से)
न्यूज़ीलैंड (2013 से)
नॉर्वे (2009 से)
पुर्तगाल (2010 से)
स्लोवेनिया (2022 से)
दक्षिण अफ्रीका (2006 से)
स्पेन (2005 से)
स्वीडन (2009 से)
स्विट्ज़रलैंड (2022 से)
ताइवान (2019 से)
यूनाइटेड किंगडम (2020 से)
संयुक्त राज्य अमेरिका (2015 से)
उरुग्वे (2013 से)
LGBTQ क्या है?
समलैंगिकों को आम बोलचाल की भाषा में एलजीबीटीक्यू (LGBTQ) यानी लेस्बियन (LESBIAN ), गे(GAY), बाईसेक्सुअल (BISEXUAL) ट्रांसजेंडर (TRANSGENDER) और क्वियर कहते हैं। इसलिए इसे LGBTQ भी कहा जाता
भारत में समलैंगिक विवाह को मिलेगी कानूनी मान्यता?
भारत में समलैंगिक शादी को कानूनी मान्यता नहीं मिली है। हालांकि, वर्ष 2018 से भारत में समलैंगिक संबंध बनाने की इजाजत है, लेकिन समलैंगिक शादी की नहीं। ऐसे में समलैंगिक दंपत्ति ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर LGBTQ+ समुदाय के सदस्यों की अपने पसंद से शादी करने का अधिकार देने की मांग की है। बता दें कि देश के कई गे कपल, समलैंगिक विवाह को स्पेशल मैरिज एक्ट-1954 में शामिल करने की मांग कर रहे है। 25 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट में इस याचिका पर सुनवाई हुई थी। सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच ने भारत सरकार से समलैंगिक विवाह को लेकर 4 हफ्ते में जवाब मांगा है।
2018 से पहले भारत में समलैंगिक संबंध था अपराध
भारत में आइपीसी की धारा-377 के तहत वर्ष 2018 से पहले समेलैंगिक संबंध के बीच शारीरिक संबंध को अपराध माना जाता था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की बेंच ने सितंबर 2018 को इस कानून प्रावधान को खत्म कर दिया। अब कोई भी भारत में समलैंगिक संबंधों के खिलाफ पुलिस में मामला दर्ज नहीं करा सकता है। लेकिन समलैंगिक शादी को लीगल बनाने के लिए LGBTQ कम्युनिटी आज भी कोशिश में जुटी हुई है।