सकट चौथ को तिलकुट चतुर्थी, माघी चतुर्थी या माघ संकष्टी चतुर्थी भी कहा जाता है। सकट चौथ को तिल और गुड़ से बने तिलकुट का भोग गणेश जी को लगाते हैं। सकट चौथ माघ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है।
सकट चौथ की तिथि को लेकर असमंजस की स्थिति बन रही है। सकट चौथ 29 जनवरी दिन सोमवार को है या 30 जनवरी मंगलवार को? सकट चौथ की सही तारीख का निर्धारण पंचांग देखकर ही हो पाता है। वैदिक पंचांग के अनुसार सकट चौथ के लिए आवश्यक माघ कृष्ण चतुर्थी तिथि 29 जनवरी सोमवार को 06ः10 बजे से है और यह 30 जनवरी मंगलवार को सुबह 08ः54 बजे खत्म होगी।
इस पूजा में रात के समय चंद्रमा को अर्घ्य देने का महत्व है, उसके बिना व्रत और पूजा पूरी नहीं होती है। इस वजह से सकट चौथ चतुर्थी तिथि के चंद्रोदय में मनाया जाता है।इस आधार पर सकट चौथ सोमवार यानी 29 जनवरी को मनाना चाहिए। यह सकट चौथ की सही तारीख है क्योंकि 29 जनवरी को चतुर्थी तिथि में चंद्रोदय होगा, जबकि 30 जनवरी को 08ः54 एएम के बाद से पंचमी तिथि लग जाएगी।सोमवार को सकट चौथ वाले दिन चंद्रमा रात 09ः10 पीएम पर निकलेगा. चंद्रोदय के आधार पर माताएं चंद्रमा को अर्घ्य देंगी।
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार मां पार्वती स्नान करने कक्ष में गईं। कक्ष में कोई न आए इसके लिए उन्होंने गणपति बप्पा को बाहर खड़ा कर किया और आदेश दिया कि जब तक मैं स्नान करके बाहर न आ जाऊ तब तक किसी को अंदर मत आने देना।भगवान गणेश ने अपनी मां पार्वती का आज्ञा का पालन किया। कुछ ही समय बाद देवों के देव महादेव मां पार्वती से मिलने आ गए। लेकिन उनको भगवान गणेश ने मां पार्वती से मिलने से रोक दिया। भगवान शिव ने कई बार प्रयास कि वह मां पार्वती से मिल ले, लेकिन मां पार्वती के आदेश के सामने उनकी एक न चली। मां पार्वती से न मिलने पर भगवान शिव क्रोधित हो गए। इसके पश्चात उन्होंने अपने अस्त्र, त्रिशूल से गणेश जी का सिर धड़ से अलग कर दिया।
माता पार्वती जी भगवान गणेश जी की आवाज सुनकर कक्ष से बाहर आई। वह अपने पुत्र का सिर धड़ से अलग देखकर अधिक दुखी हो गईं और अपने पुत्र को जीवन दान देने का आदेश भगवान शिव को दिया, जिसके बाद भगवान शिव ने एक हाथी के बच्चे का सिर गणेश जी के धड़ से लगा दिया। इससे गणपति बप्पा को दूसरा जीवन मिल गया। इसके बाद सभी देवी-देवताओं ने भगवान गणेश जी को आशीर्वाद दिया। तभी से महिलाएं अपनी संतान की दीर्घ आयु के लिए सकट चौथ का व्रत रखती हैं।
इस दिन जो भी व्यक्ति बिना अन्न और जल के व्रत रखकर गणेश जी की पूजा करता है, विघ्नहर्ता श्री गणेश जी उसके सभी संकटों को हर लेते हैं।इस बारे में पद्म पुराण में बताया गया है।मान्यता है कि सकट चौथ की पूजा में कथा का पाठ करने से साधक को भगवान गणेश जी की कृपा प्राप्त होती है।