7 मार्च...
सोमवार....
दिन की शुरुआत हर रोज़ की तरह ही हुई.....।घर का रोजमर्रा का काम....।दोपहर होते होते थकावट से अचानक शरीर का तापमान बढ़ गया...। तापमान बढ़ना मतलब दिमाग गर्म होने से नहीं हैं.... बुखार से हैं...। मौसम के अचानक बदलाव और ज्यादा काम की वजह से कभी कभी ऐसा हो जाता हैं..। अभी काफी हद तक आराम हैं...।
कल शब्द टीम की एक नई शुरुआत देखीं.... फेसबुक पर प्रज्ञा जी और गीता जी का साक्षात्कार.....। बहुत अच्छा लगा...। शब्द टीम को आगे के भविष्य के लिए ढेर सारी बधाइयाँ..। उम्मीद हैं ये मंच ऐसे ही आगे बढ़ता जाएगा...।
इस मंच पर मैनें एक बात दिल से महसूस की है जो आप सभी से आज कहना चाहतीं हूँ..... इस मंच पर सभी लेखकों को बराबर का दर्जा दिया जाता हैं....। कौन कितने समय से और कितना ज्यादा लिख रहा हैं.... इस बात को तवज्जो ना देकर कितना सटीक और बेहतर लिख रहा हैं.... वो ज्यादा देखा जाता हैं.....ये मेरा व्यक्तिगत अनुभव हैं.....। कृपया इसे प्रमोशन या चापलूसी का नाम ना दे..।
डायरी होतीं हैं अपने हर अनुभव और अच्छे बुरे पलों को साझा करने के लिए...। मैं बस वहीं कर रहीं हूँ...।
आज तबीयत ठीक ना होने की वजह से फिलहाल आप सभी से विदा ले रहीं हूँ....।
जाने से पहले.... एक नया अंदाज जो मैने इस माह की डायरी में शुरू किया हैं.... आप सभी के लिए एक प्यारा सा नजराना....
यूंही कट जाएगा सफ़र
साथ चलने से.....
कि मंजिल आएगी नज़र
साथ चलने से....।