28 फरवरी....
सोमवार...
माह का अंतिम दिन....और शब्द पर मेरा अंतिम लेख...।
पिछले कुछ समय से बहुत सी उलझनें आई हैं जिंदगी में..। एक अधूरी चल रहीं कहानी को आज समाप्त किया क्योंकि एक लेखक के तौर पर आधी कहानी लिखना मुझे गवारा नहीं...। बहुत ही मुश्किलों से इतनी इजाज़त मिली...तो सोचा अपनी प्यारी डायरी पर भी कुछ अंतिम अल्फ़ाज़ लिख लुं...।
बहुत कुछ मिला हैं मुझे यहाँ से... बहुत कुछ पाया हैं यहाँ आकर...। कोशिश तो थी की हमेशा ऐसे ही लिखती रहूँ पर नियति को कुछ ओर ही मंजूर था...।
लेकिन अभी भी दिल के किसी कोने में एक उम्मीद हैं की फिर से कम बैक करुंगी.... क्योंकि उम्मीद पर " दिया " कायम...।
खुद पर और अपने भगवान पर पूरा भरोसा हैं...। देखते हैं कब वापस आना होता हैं...। जातें जातें बस इतना ही कहुंगी...
रख लो दिल में संभाल कर
थोड़ी सी यादें हमारी...
रह जाओगे जब तन्हा...
तो बहुत काम आएंगी ये....।
जय श्री राम.. ।