10 मार्च...
गुरुवार...
भारतीय महिला क्रिकेट टीम का आज दूसरा मुकाबला न्युजीलैंड की टीम से जारी हैं , लेकिन भारतीय टीम की जीत की संभावनाएं ना के बराबर हैं...। खेल हैं हार जीत तो लगी रहती हैं...। उम्मीद हैं अगले मैचों में बेहतर प्रदर्शन करेंगी...।
खैर आज बात करते हैं मेरी एक नई शुरुआत की... एक बेहद ही विचारणीय और लोगों की सोच पर एक कहानी लिख रहीं हूँ...। उम्मीद करतीं हूँ जो संदेश देना चाहतीं हूँ वो आप सभी तक सही से पहुंचे..। बहुत जल्द आप सभी के सामने पेश करेंगे...।
अब बात करतीं हूँ कल शाम को हुई मेरी मुलाकात की....। मुलाकात मतलब एक रिश्तेदार से.... तुम भी ना डियर पल भर में क्या क्या सोच लेतीं हो....।
कल बातों बातों में उस रिश्तेदार ने मुझसे पूछा.... कितना कमा लेती हो ये सब कहानियाँ लिखकर..?
मेरा जवाब वो ही रहा जो मैं सभी को आज तक देतीं आ रहीं हूँ.. :- की मैं लेखन का काम आजीविका अर्जित करने के लिए नहीं करतीं.... उसके लिए मेरा आनलाईन काम बहुत अच्छे से चल रहा हैं...। लेखन मैं सिर्फ अपने शौक और बचपन के सपनों को साकार करने के लिए कर रहीं हूँ...।
फिर सामने से एक ओर सवाल:- क्या मतलब फिर इन सब से जब कुछ हासिल ही नहीं हो रहा हैं...!
जवाब:- अगर मेरी नज़र से देखो तो बहुत कुछ हासिल हो रहा हैं... बस नज़र नज़र की बात हैं...।
इसके बाद खामोशी.... कोई सवाल नहीं...।
लेकिन तबसे दिमाग में बस एक ही बात चल रहीं हैं की हर चीज़ को सभी पैसों से क्यूँ तोलते हैं.... क्या हमारे सपने... हमारी ख्वाहिशें... हमारी चाहतों का कोई मोल नहीं हैं...।
लेकिन जो भी मुझे इन सबसे अब कोई फर्क नहीं पड़ता...। वो कहते हैं ना....
कुछ तो लोग कहेंगे...
लोगों का काम हैं कहना..।
कल फिर मिलुंगी.... तब तक के लिए.... जय श्री राम जी की.....।