हम टुटे..... हम बिखरे..... हम चकनाचूर हो गए.....
फिर धीरे धीरे हम ही सबसे दूर हो गए.... ।
सूखे पत्तों सी बिखरी हैं जिंदगी....
कोई समेटता भी हैं तो सिर्फ जलाने के लिए...।
7 फरवरी 2022........सोमवार
सुप्रभात दोस्तों.....
सवेरे सवेरे शायरी जुंबा पर आई जो आप सभी के साथ शेयर करीं हैं....। आज मूड ही थोड़ा गमगीन सा हैं....।
कल एक तरफ़ जहाँ भारत के मैच जीतने की खुशी थीं.... वहीं लता जी जाने का गम़ भी था...। लेकिन खुशी पर गम़ ज्यादा भारी था...।
बहुत दुख हुआ लता जी के बारे में कल सुनकर...।
लेकिन कहते हैं मौत पर किसका जोर चला हैं.... एक ना एक दिन सभी को जाना ही हैं...।
मौत एक ऐसी सच्चाई हैं जिसे एक ना एक दिन सभी को सुनना ही हैं...।
लता जी की अंतिम यात्रा और अंतिम संस्कार को टीवी पर देखा....। साथ में उनके गाए हुवे गाने चल रहें थे वो सच में रुला देने वाले पल थे...।
लता जी का गाया एक गाना जो मेरा पसंदीदा गाना हैं.....
रहे ना रहे हम.....
महका करेंगे....
बन के कली....
बन के सबा़...
बाग -ए- वफ़ा में....
रहे ना रहे हम....।
इस गाने की शुरुआत की पंक्ति से मैनें एक लेख भी लिखा हैं किसी दूसरे प्लेटफार्म पर..." रहे ना रहे हम... "बचपन से बहुत पंसद हैं ये गाना...।
आज की पीढ़ी के लगभग हर इंसान ने लता जी को सुना ही होगा...।
कहते हैं जाने वाले चले जाते हैं बस यादें रह जाती हैं...... ।
ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे...।
लता जी के बारे में जितना लिखें उतना कम होगा...। 30 हजार से ज्यादा गाने..... पदमश्री..... राष्ट्रीय सम्मान...अनेकों भाषाओं में गाने... लेकिन उनकी जो एक बात सबसे ज्यादा मेरे दिल को छुती थीं वो हैं उनकी..... सादगी....। इतना सब होने के बावजूद कोई आडंबर नहीं.... कोई दिखावा नहीं.... हमेशा सादा जीवन जीना...। ये उनकों सबसे अलग करता था...।
जीवन चलने का नाम
चलते रहो सुबह शाम....
ये सच्चाई हैं और हम सभी को सब कुछ भुला कर आगे चलना हैं... आगे बढ़ना हैं...।
फिर मिलुंगी....
जय श्री राम....।