22 फरवरी..
मंगलवार...
हाँ जानती हूँ मेरी डायरी मुझसे थोड़ा नाराज़ हैं.... लेकिन क्या करुं कुछ दिनों से जिंदगी में इतनी उथल पुथल चल रहीं हैं की लिखने का दिल ही नहीं कर रहा था...।
खैर आज मैं कोई परेशानी या रोना लेकर नहीं आई हूँ...।
अब इतने दिन बाद आई हूँ तो खुशियाँ ही लेकर आई हूँ..।
पहली खुशखबरी की एक परेशानी जो बहुत समय से सुलझने का नाम नहीं ले रहीं थी वो लगभग समाप्त हो गई...।
दूसरी खुशखबरी की चाहें कोई मेरी खुशी समझे या ना समझे पर मैं बहुत खुश हूँ मेरे छोटे देवर जी ने भी अपना नया घर ले लिया हैं... जो काफी वक्त से वो तलाश कर रहे थे...।
हाँ मैने अभी तक देखा नहीं हैं पर सुना हैं बहुत अच्छा लिया हैं..।
अब आप सोचेंगे की मुझे क्यूँ नहीं दिखाया गया हैं तो उसका कारण पिछले सतरह सालों से मैं भी पता नहीं लगा पाई हूँ...।
दरअसल इस घर में मेरे पास हर बात सबसे आखिर मैं आतीं हैं वो भी किसी बाहर वाले से...।
इस घर में सभी मुझसे कोई बात कभी भी शेयर नहीं करते... चाहे वो खुशी की हो या गम की...। वजह तलाशने की हर मुमकिन कोशिश की पर अभी तक तो मिली नहीं..।
पता नहीं उनकों ऐसा क्यूँ लगता हैं की शायद मैं खुश नहीं हूँ... पर सच तो ये हैं की मैं बहुत खुश हूँ...। और मेरी खुशी में आपसे और भगवान जी से शेयर कर रहीं हूँ...। मेरा और मेरी बेटियों का भी मन हैं नया घर देखने का लेकिन मैं जानती हूँ ये मुमकिन ही नहीं हैं... क्योंकि सामने से वो कभी बोलेंगे नही और अगर मैने कहा तो भी कोई ना कोई बहाना बना कर टाल दिया जाएगा..। ना जाने क्यूँ ऐसा सौतेला व्यवहार किया जाता हैं मेरे साथ.... शुरू से ही...।
माफी चाहतीं हूँ.... दुखी ना होने का बोला था पर लिखते लिखते अपने आंसुओं को रोक नहीं पाई...।
मेरे देवर और उनके पूरे परिवार के लिए दिल से दुआ करतीं हूँ... खुश रहें... खुब तरक्की करें...।
ना राज़ हैं जिंदगी..
ना नाराज़ हैं जिंदगी..
बस जो हैं वो आज हैं जिंदगी...।।।।।।
जय श्री राम....।