18 मार्च....
शुक्रवार.....
सबसे पहले तो आप सभी को होली और धुलेटी के त्यौहार की ढेर सारी बधाइयाँ....। उम्मीद है सभी अपने अपने अंदाज से रंगों का लुत्फ़ उठा रहे होंगे...। मुझे तो रंगों से खेलना बहुत पसंद हैं.... लेकिन कभी कभी हमें अपने शौक़ और पसंद को वक्त के साथ साथ खत्म कर देना पड़ता हैं...।
आज नए लोगों के बीच ये मेरा पहला होली का त्यौहार हैं...। सोसाइटी की सभी दोस्त आई थी रंग लगाने...। बहुत अच्छा लगा...। सालों बाद शायद हमें किसी ने रंग लगाया होगा...। उन्होंने बहुत आग्रह भी किया साथ चलने और सभी के साथ होली खेलने के लिए....। लेकिन हम नहीं जा पाए....। कुछ रोक.... कुछ बंदिशे.... आंखों ही आंखों में हिदायत दे दी गई मुझे..। नहीं चाहते हुए भी उन्ही कदमों से वापस लौट आए..।
अब हम उन सभी को क्या कहते... कुछ कह भी नहीं पाए... दिल तो बहुत था... पर क्या करें...।
सच बताए तो शादी के बाद से पहली बार कोई इस तरह मुझे रंग लगाने आया था... कुछ पल तो यकीन ही नहीं हो रहा था..। लेकिन ये कुछ पल मुझे सालों की खुशी देकर गए...। मैं दिल से शुक्र गुजार हूँ काव्या जी और सिमरन जी का.....। आपने आज मुझे मेरे होने का अहसास तो करवाया...। दिल से बहुत बहुत आभार..।
अभी चलतीं हूँ कल फिर मिलने आऊंगी...।
जय श्री राम...
हैप्पी होली वनस अगेन...। 🎨🎨