18 फरवरी....
शुक्रवार....
आंसू आए तो खुद पोछिएगा.....
लोग पोछने आएंगे तो सौदा करेंगे....।
छोटी सी बात हैं लेकिन बहुत गहरी हैं...।
अपने दैनिक घर के काम करते करते आज ऐसे ही ख्याल आ गया.... क्या कोई ऐसा रिश्ता हैं जिसमें कोई स्वार्थ ना हो...।
कुछ दिनों से एक बात को लेकर बहुत सोच रहीं हूँ....। क्या मिलता हैं लोगों को किसी के विश्वास का मजाक बना कर...। क्यूँ लोग सिर्फ चंद रुपयो के लिए हर रिश्ते को खो देते हैं...।
आप सोच रहे हैं आज हम ऐसी बातें क्यूँ कर रहे हैं...। दरअसल एक शख्स हैं.... हैं नहीं थीं.... मेरी जिंदगी में.... अब मैं उनसे बहुत दूर हो गई हूँ...। बहुत विश्वास किया था उन पर....उनकी मदद भी की थीं .... सिर्फ ये समझकर की बहुत तकलीफ में हैं.... छोटी हैं.... अकेली हैं... लाचार हैं....। लेकिन सब एक छलावा निकला... ढोंग निकला....।
उनकी तो ये आदत थीं लोगों के इमोशन से खेलों और अपना काम निकालो...। नाम नहीं लेंगे पर बहुत तकलीफ हुई हैं उनकी सच्चाई सामने आने पर....।
आज इतना ही....
कल मिलतें हैं..... अच्छे मूड के साथ...।