11 फरवरी
शुक्रवार...
समय:- 10:50 (रात्री)
नन्हे मेहमान से मिलने जा रहे हैं.... आज पूरा दिन उनकी खरीदारी करने में ही बीत गया....।
दिल्ली..... दूसरी बार जा रहे हैं.... पहली बार जब दिल्ली गए थें.... तब की यादें ताजा हो गई आज.....
शाम को पैकिंग करते करते आंख भर आई थी.... पर खुशी के मौके पर जा रहे हैं तो खुद को संभाल लिया...।
पहली बार जब भाई के घर दिल्ली गए थें तब हम मायके में रहे हुए थे.... पिंक सिटी जयपुर में...। तब वहाँ अचानक से रात को बातें करते करते मम्मी पापा और बड़ीं बहन के साथ प्रोग्राम बनाया और अगले दिन कैब बुक करवा कर सवेरे सात बजे रवाना हो गए...।
ये मम्मी पापा के साथ मेरी जिंदगी का पहला और आखिरी सफ़र था...... इससे पहले इतने घंटे साथ में मम्मी पापा दोनों मेरे साथ कभी इस तरह घुमने नहीं चले थे...।
कभी मम्मी होतीं तो पापा नहीं होतें थे.... पापा होतें तो मम्मी नहीं होतीं थीं.....।
आज पैकिंग करते वक्त उन दोनों को बहुत याद कर रहे थे....।
किसी ने सच ही कहा हैं.... चाहे हम कितने ही बड़े क्यूँ ना हो जाए... चाहे हमें कितने ही रिश्ते क्यूँ ना मिल जाए.... मम्मी पापा की कमी हमेशा महसूस होतीं हैं.... उनकी जगह कोई नहीं ले सकता...।
वो दोनों मेरे दिल में हमेशा रहेंगे... हमेशा मेरे साथ..।
आज के लिए इतना ही..... कल फिर मुलाकात होगी....।
सफ़र के दौरान....।
जय श्री राम.....।